कृषि कानून संघीय ढांचे पर मोदी सरकार का हमला है: राजा बहुगुणा

जगमोहन रौतेलालालकुआं । किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के समर्थन में अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले एक…

जगमोहन रौतेला
लालकुआं । किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के समर्थन में अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले एक बैठक कार रोड, बिंदुखत्ता में की गई, जिसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग पर देश भर में चल रहे आंदोलन को स्थानीय स्तर पर तेज करने के लिये व्यापक विचार विमर्श किया गया। और किसान आंदोलन के समर्थन में 8 जनवरी को शहीद स्मारक पर एकदिवसीय धरना देने का फैसला लिया गया।
किसानों की बैठक को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि, “किसान आंदोलन जिस मोड़ पर पहुंच गया है वहाँ से काले कृषि कानूनों की पूर्ण वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। किसान एकता तोड़ने की सारी साजिशों को पीछे करते हुए किसान आंदोलन ऐतिहासिक स्वरूप ग्रहण कर चुका है। यह किसान आंदोलन कृषि सुधार के नाम पर बड़े पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों खेती, किसानी, अन्न और देश के संसाधनों को लुटाने के विरोध में खड़ा है। इसलिए किसान न सिर्फ सरकार और उसकी किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ रहे हैं बल्कि अदानी-अम्बानी और उनके उत्पादों के खिलाफ भी सीधे संघर्ष में उतर पड़े हैं।”
भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “संविधान और लोकतंत्र पर लगातार हमले कर रही मोदी सरकार ने केंद्रीय कृषि कानून पारित कर देश के संघीय ढांचे पर हमला किया है जबकि कृषि राज्यों का विषय है।” उन्होंने कहा कि, “किसान आंदोलन में कई किसानों की शहादत के बाद भी मोदी सरकार निर्मम बनी हुई है जबकि किसानों की देश की खेती, किसानी और खाद्य सुरक्षा को बचाने के लिए दी गई शहादत सीमा पर देश की सीमा की सुरक्षा में जवानों द्वारा दी गई शहादत के समकक्ष है।”
किसान महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि,”हमारे कृषि प्रधान देश में खेती, अन्न भंडारण और खाद्य सुरक्षा को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े पूंजीपतियों में होड़ मची है क्योंकि यही वह क्षेत्र है जहां वैश्विक संकट के इस दौर में भी मांग बनी हुई है। इसलिए मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट के लिए लूट की छूट देने के लिए ये कानून ले कर आई है।”
बैठक को वरिष्ठ किसान नेता भुवन जोशी, आनन्द सिंह सिजवाली, गोविंद जीना, राजेन्द्र शाह, बिशन दत्त जोशी, माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय, ललित मटियाली, किशन बघरी, नैन सिंह कोरंगा, विमला रौथाण, बसंती बिष्ट, स्वरूप सिंह दानू, धीरज कुमार, विनोद कुमार, आनंद सिंह दानू, शेर सिंह पपोला, जगदीश आर्य, खीम सिंह, अजय प्रसाद, माधोराम, पनिराम, हरीश, त्रिलोक सिंह दानू, राम सिंह, भगत सिंह, सचिन वर्मा, किशन राम, दान सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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