चंडीगढ़। पंजाब के नये मंत्रिमंडल ने शानिवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने राजभवन में सादे समारोह में आम आदमी पार्टी (आप) के 10 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई।
इस मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा उनके सभी विधायक मौजूद थे। नये मंत्रियों में प्रतिपक्ष नेता की जिम्मेदारी संभालने वाले हरपाल सिंह चीमा (दिड़बा), डॉ. बलजीत कौर (मलेाट, पूर्व सांसद प्रो. साधू सिंह की बेटी), हरभजन सिंह ईटीओ (जंडियाला), विजय सिंगला (मानसा), लालचंद कटारूचक्क (भोआ), गुरमीत सिंह मीत हेयर (युवा चेहरा तथा दूसरी बार बरनाला से जीते), कुलदीप सिंह धालीवाल (अजनाला), ललजीत सिंह भुल्लर (पट्टी), ब्रह्म शंकर जिंपा (होशियारपुर), हरजोत सिंह बैंस (सबसे कम उम्र तथा आनंदपुर साहब) शामिल हैं।
दस मंत्रियों में पांच मालवा क्षेत्र से हैं तथा चार आरक्षित सीट से हैं। चार माझा क्षेत्र और एक दोआबा क्षेत्र से हैं। ज्ञातव्य है कि विधानसभा की 117 सीटों में से 92 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के आई ‘आप ’ने सभी दलों को हैरान कर दिया क्योंकि कोई इतना नहीं सोच सकता था कि वह इस बार सुनामी लेकर आयेगी। पिछले चुनाव में उसे 20 सीटें मिलीं और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो उसका प्रदर्शन इतना खराब रहा कि भगवंत मान संगरूर लोकसभा सीट ही बचा सके थे।
लेकिन पंजाब में विधानसभा चुनाव निकट आते ही कांग्रेस में उठापटक शुरू हो गयी तथा कई मंत्रियों तथा विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को जिस तरह मुख्यमंत्री पद से उतारा और उसके बाद चरनजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया। उसके बाद तो मुख्यमंत्री बनने की लालसा पाले नेताओं का असलीयत सामने आ गयी।
कांग्रेस के प्रधान रहे नवजोत सिंह सिद्धू चुनाव होने के बाद तक अपनी सरकार की खिलाफत करते रहे। इस प्रकार कांग्रेस की अंतरकलह और नेतृत्वहीन कांग्रेस से लोगों का मोहभंग होता गया। लोग ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर भरोसा जताने लगे तथा मान को पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर उतारा गया। चुनाव में ‘आप’ ने सभी दलों का सफाया कर दिया। अकाली दल तीन, बसपा एक, भाजपा दो और कांग्रेस बड़ी मुश्किल से 18 सीटें हासिल कर सकी।
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