सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
करोड़ों का बजट खर्च किए जाने के बावजूद अल्मोड़ा की स्वास्थ्य व्यवस्था जहां खस्ताहाल बनी हुई है, वहीं आज की तारीख में भी सदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क मार्गों का अभाव है। यहां विकासखंड भैसियाछाना के एक गांव में सड़क नहीं होने के चलते गर्भवती महिला ने 05 किमी की पैदल खड़ी चढ़ाई पार करने के दौरान मार्ग में ही शिशु को जन्म दे दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भैसियाछाना विकासखंड की ग्राम सभा लिंगुड़ता के पतलचौरा गांव में प्रियंका बानी गर्भवती थी। मंगलवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे अस्पताल ले जाने की तैयारी की, लेकिन उनका गांव निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र भैसियाछाना पूरे पांच किमी की दूरी पर है। जहां सड़क मार्ग के अभाव में खड़ी चढ़ाई पार कर पैदल जाने की मजबूरी है। लिहाजा एक डोली का इंतजाम किया गया, लेकिन डोली पहुंचने में देर हो गई। जब डोली आई तो महिला को उसमें बैठाया गया, लेकिन करीब ढ़ाई किमी तक की खड़ी चढ़ाई के बाद अचानक गर्भवती को पीड़ा हुई और उसे मार्ग में डोली से उतारना पड़ा। जिसके बाद उसका प्रसव वहीं आधे रास्ते में कराना पड़ गया। (ख़बर जारी है, आगे पढ़िये)
बता दें कि पतलचौरा गांव से कनारीछीना बाजार की ही दूरी पांच किलोमीटर है, जिसके बाद निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र भैसियाछाना पड़ता है। इस बीच गर्भवती के साथ उसकी सास हेमा बानी, लक्ष्मी बानी व आशा कार्यकर्ती संजू देवी मौजूद थीं, लेकिन निकटतम अस्पताल भैसियाछाना से पूर्व ही गर्भवती प्रियंका बानी ने आधे रास्ते में अपने शिशु को जन्म दे दिया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने आशा कार्यकर्तियों की मदद से महिला की डिलीवरी करी और महिला ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया।
इधर रीठागाड़ी दगड़ियों संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पतलचौरा गांव से कनारीछीना मार्केट तक पहुंचने में पांच किलोमीटर की दूरी है, जो कि ढाई किलोमीटर चढ़ाई व ढ़ाई किलोमीटर ढलान वाला मार्ग है। उन्होंने कहा कि संगठन कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग के लिए लंबे समय से शासन-प्रशासन को गुहार लगा रहा है। इस सड़क मार्ग के लिए सर्वे और भूगर्भ विभाग द्वारा भूमि जांच होने के बाद भी आज तक सड़क मार्ग का निर्माण अधर में लटका हुआ है।
पतलचौरा गांव से गर्भवती महिलाओं व बुजुर्ग बिमार लोगों को कनारीछीना सड़क तक लाने में डोली या खच्चरों का सहरा लेना पड़ता है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाबजूद सड़क तो दूर की बात ठीक ढंग से रास्ता भी नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पतलचौरा गांव अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव है। एक तरफ सरकार बोलती है कि अनुसूचित जाति के लिए हर चीज मुहैया कराई जा रही है, लेकिन इस गांव को एक अदद सड़क मार्ग भी नसीब नहीं हुआ है।