सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों को दीपावली से पहले एक बड़ा तोहफा मिला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2001 के आरक्षी पुलिस कर्मियों का ग्रेड—पे 4 हजार 600 करने को मंजूरी दे दी है। यह घोषणा 62 वें पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर की गई है।
आपको बता दें कि देहरादून में पुलिस स्मृति दिवस पर पुलिस लाइन में हुई परेड में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह घोषणा की है। उन्होंने इस मौके पर शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि भी दी। साथ ही शहीद के स्वजनों को सम्मानित किया। इनमें नवनीत सिंह खंडूड़ी, फायरमैन दीपक कुमार, अनूप सिंह के स्वजन शामिल थे। सीएम धामी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इनामी अपराधियों की राशि बढ़ाई जाएगी और पुलिसकर्मियों की मुख्य मांग 2001 के पुलिसकर्मियों को ग्रेड पे दिया जाएगा। ज्ञात रहे कि ग्रेड-पे को लेकर बीते 3 अक्टूबर को आंदोलित पुलिस कर्मियों के परिजनों ने मुख्यमंत्री आवास कूच करते हुए प्रदर्शन भी किया था।
ज्ञातव्य हो कि सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे के विवाद का बीज 07 साल पहले ही पड़ गया था। यह विवाद था ग्रेड पे दिए जाने के लिए समय सीमा में बदलाव। पहले आठ, 12 और 22 का प्रावधान था। लेकिन, जैसे सिपाहियों के पहले बैच को 12 साल होने को आए इसे बदल दिया गया। यही नहीं इसके बाद भी इसमें बदलाव किया गया और जब जब फिर से नंबर आया तो 2800 ग्रेड पे दिए जाने की बात शुरू हो गई। विवाद इतना बढ़ा कि बात प्रदर्शन तक आ पहुंची।
दरअसल, उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों की पहली भर्ती 2001 में हुई थी। उस वक्त पदोन्नति के लिए तय समय सीमा आठ, 12 व 22 साल थी। सिपाहियों की भर्ती के समय 2000 ग्रेड पे होता है। इसके बाद आठ साल बाद उन्हें 2400, 12 साल बाद 4600 और 22 साल की सेवा के बाद 4800 दिए जाने का प्रावधान था। अब इस बैच के सिपाहियों को वर्ष 2013 में 4600 रुपये ग्रेड पे का लाभ मिलना था। लेकिन, उससे पहले ही सरकार ने समय-सीमा में बदलाव कर दिया।
उस वक्त कहा गया कि अब यह लाभ उन्हें नई नीति 10, 16 व 26 वर्ष के आधार पर मिलना है। ऐसे में इन सिपाहियों को अब वर्ष 2017 में 4600 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना था। मगर, उससे पहले ही समय-सीमा को बढ़ाकर 10,20 व 30 वर्ष का स्लैब कर दिया गया। इस हिसाब से इस साल 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना था। लेकिन, अब पिछले दिनों शासन ने ग्रेड पे को ही घटा दिया। ऐसे में सिपाहियों का कहना है कि जब जब उनका नंबर आया तब नियम बदलकर उनके साथ धोखा किया गया।