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दिल्ली विश्वविद्यालय को दुनिया में शीर्ष पर ले जाने में जुटें छात्र तथा शिक्षक – मोदी

नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों से अगले 25 वर्षों में विश्वविद्यालय को विश्व की शीर्ष रैंकिंग में पहुंचाने के लिए दिन रात एक करने का आह्वान करते हुए कहा है कि सभी को इस संकल्प को पूरा करने में भागीदारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि देश के युवा सफलता की नयी कहानी लिखने में सक्षम हैं और वे अपने विश्वविद्यालयों को श्रेष्ठ बनाकर अगले 25 वर्षों में विकसित भारत के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं।

मोदी ने शुक्रवार को यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए यह बात कही। दिल्ली मेट्रो में सफर कर विश्वविद्यालय पहुंचे मोदी ने विद्यार्थियों के साथ खुली और बेबाक बातचीत करने हुए विश्वविद्यालय जीवन के हर पहलू का उल्लेख किया और कहा कि युवाओं को कॉलेज जीवन को जी भर कर जीते हुए अपनी तथा देश की भलाई की दिशा में कार्य करना चाहिए।

उन्होंने कहा, “भारत की सॉफ्ट पावर भारतीय युवाओं की सफलता की कहानी बन सकती है। इस सबके लिए हमारी यूनिवर्सिटीज़ को, हमारे संस्थानों को तैयार होना है, अपने माइंडसेट को तैयार करना है। हर यूनिवर्सिटी को अपने लिए एक रोडमैप बनाना होगा, अपने लक्ष्यों को तय करना होगा।”

उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर यह संकल्प लेना होगा कि जब अगले 25 वर्षों में इस संस्थान की स्थापना के 125 वर्ष पूरे हों तो इसकी गिनती दुनिया की शीर्ष रैकिंग वाले विश्वविद्यालयों में हो, इसके लिए सभी को प्रयास बढाना होगा। उन्होंने कहा , “आपके यहां भविष्य का निर्माण करने वाले नवाचार हों, दुनिया के श्रेष्ठ और लीडर्स आपके यहां से निकलें, इसके लिए आपको लगातार काम करना होगा।”

मोदी ने कहा कि किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए लोगों के मन मस्तिष्क को तैयार करने की जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों की ही होती है। उन्होंने कहा ,“जब हम अपने जीवन में कोई लक्ष्य तय करते हैं, तो उसके लिए पहले हमें अपने मन-मस्तिष्क को तैयार करना होता है। एक राष्ट्र के मन-मस्तिष्क को तैयार करने की ये ज़िम्मेदारी उसके शैक्षणिक संस्थानों को निभानी होती है। हमारी नई पीढी भविष्य के लिए तैयार हो , वो चुनौतियों को स्वीकार करने और उनका सामना करने का स्वभाव रखती हो, ये शिक्षा संस्थान के विज़न और मिशन से ही संभव होता है।”

पिछली शताब्दी में देश के स्वतंत्रता संग्राम में विश्वविद्यालयों के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी कि दिल्ली विश्वविद्यालय इन सपनों को जरूर पूरा करेगा। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है, दिल्ली यूनिवर्सिटी अपनी इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुये इन संकल्पों को जरूर पूरा करेगी। 25 साल बाद, जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब दिल्ली यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना के 125 वर्ष मनाएगी। तब लक्ष्य था भारत की स्वतंत्रता, अब हमारा लक्ष्य है 2047 तक विकसित भारत का निर्माण। पिछली शताब्दी के तीसरे दशक ने, अगर पिछली शताब्‍दी के इतिहास की तरफ नजर करें तो पिछली शताब्‍दी के तीसरे दशक ने स्वतंत्रता संग्राम को नई गति दी थी। अब इस शताब्दी का ये तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को नई रफ्तार देगा। आज देशभर में बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी, कॉलेज बनाए जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी, आईआईएम,एनआईटी और एम्स जैसी संस्थाओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। ये सभी संस्थान न्यू इंडिया के बिल्डिंग ब्लॉक्स बन रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा सिर्फ सिखाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि ये सीखने की भी प्रक्रिया है। लंबे समय तक शिक्षा का केन्द्र इसी बात पर रहा कि छात्रों को क्या पढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने ‘ फोकस ’इस बात पर भी शिफ्ट किया कि छात्र क्या सीखना चाहता है। उन्होंने कहा कि सभी के सामूहिक प्रयास से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार हुई है। अब छात्रों को ये बड़ी सुविधा मिली है कि वो अपनी इच्छा से अपनी पसंद के विषयों का चुनाव कर सकते हैं। मोदी इस मौके पर विश्वविद्यालय में लगी प्रदर्शनी भी देखने गये और वहां मौजूद लोगों के साथ बातचीत भी की।

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