निराशा में आशा : आशाओं से दुर्व्यवहार करने वाली पाटी की एसडीएम को तत्काल हटाया जाए- ऐक्टू

हल्द्वानी । चम्पावत की एसडीएम सुप्रिया द्वारा ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की पाटी ब्लॉक अध्यक्ष ज्योति उपाध्याय के साथ सर्वे करने…

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हल्द्वानी । चम्पावत की एसडीएम सुप्रिया द्वारा ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की पाटी ब्लॉक अध्यक्ष ज्योति उपाध्याय के साथ सर्वे करने के लिए दबाव बनाने के क्रम में दुर्व्यवहार करने, सारी आशाओं को मीटिंग रूम से बाहर कर मीटिंग रूम को बंद कर उनको अकेले प्रताड़ित करने व उनको धमकाने का कार्य किया गया। इस कार्य में मीटिंग रूम में उपस्थित पीएसी पाटी के इंचार्ज डॉक्टर आभास सिंह व उपस्थित एएनएम ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। हम यूनियन की ओर से एक उपजिलाधिकारी के लोकसेवक होने के बावजूद किये गए इस कृत्य को बेहद शर्मनाक मानते हुए इसकी घोर निंदा करते हैं।” ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की राज्य कमेटी की ओर से प्रेस को जारी बयान में यह बात कही गई।

गौरतलब है कि पाटी की एसडीएम सुप्रिया और पीएसी इंचार्ज डॉक्टर आभास सिंह द्वारा न सिर्फ ज्योति उपाध्याय का बुरी तरह अपमान और अवमानना की गई बल्कि उनको धमकी भी दी गई साथ ही उनके महिला होने की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई गई। उनको मीटिंग रूम को बंद कर इतना उत्पीड़ित और प्रताड़ित किया गया कि वे मीटिंग रूम से रोते हुए बाहर निकलीं। प्रेस बयान में कहा गया कि, “आशाओं द्वारा लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दी जा रही हैं लेकिन अभी तक न तो आशाओं को मासिक वेतन नसीब हो रहा है और न ही कर्मचारी का दर्जा प्राप्त है। परन्तु काम का बोझ लगातार आशाओं के कंधो पर डाल दिया गया है।

अपने श्रम के इसी शोषण के खिलाफ आशाओं की मासिक वेतन, कर्मचारी का दर्जा, लॉकडाउन भत्ता की सरकार से मांग का संघर्ष जारी है। आशाएँ जिन्होंने कोरोना महामारी की शुरुआत से ही बिना सुरक्षा साधनों के जान की परवाह किये बिना कोरोना जागरूकता से लेकर क्वारन्टीन सेंटरों में लगातार अपनी ड्यूटी निभाई है और इस क्रम में राज्य में कई आशाओं को कोरोना से संक्रमित भी होना पड़ा है। आज जब वो ही कोरोना की अग्रिम पंक्ति की योद्धा आशाएँ अपने काम का दाम मांग रही हैं, तो क्या आशाओं की मांग नाजायज है?”
यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ. कैलाश पाण्डेय ने सवाल उठाया कि, “क्या प्रशासन को सरकार से अपने हक की मांग करने वाली आशाओं से दुर्व्यवहार की छूट दे दी गई है?

यदि ऐसा नहीं है तो पाटी की उपजिलाधिकारी और अस्पताल प्रशासन के रवैये को क्या कहा जाये स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी आशाओं का क्या कोई सम्मान नहीं है? क्या उत्तराखंड सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों को इसी तरह की ट्रेनिंग दी जाती है कि वे दिन रात मातृ-शिशु सुरक्षा के कार्य में लगी आशाओं को इस तरह प्रताड़ित करें? हमें इसका जवाब चाहिए।”

यूनियन द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री से मांग की गई कि जिनमें पाटी की एसडीएम सुप्रिया और पाटी पीएसी के प्रभारी डॉक्टर आभास सिंह को तत्काल हटाये जाने, पाटी की एसडीएम सुप्रिया और पाटी पीएसी के प्रभारी डॉक्टर आभास सिंह द्वारा ज्योति उपाध्याय के साथ जो दुर्व्यवहार किया गया इस कृत्य के लिए वे दोनों ज्योति उपाध्याय से बिना शर्त लिखित माफी मांगने, सभी अस्पतालों के डॉक्टरों और अन्य स्टाफ द्वारा आशाओं के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार पर रोक लगाने की मांग की है।

यूनियन द्वारा चेतावनी दी गई यदि आशाओं के सम्मान पर ठेस पहुंचाने वाले इस प्रकरण का राज्य सरकार द्वारा संज्ञान लेते हुए यदि तत्काल प्रभाव से कार्यवाही नहीं की गई तो आशाओं को कोरोना लॉकडाउन की परवाह किये बिना आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा।

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