हल्द्वानी न्यूज : शिक्षक दिवस को काला दिन मना रहे देवभूमि व्यापार मंडल से जुड़े शिक्षा प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने भेजा सीएम को ज्ञापन

हल्द्वानी। देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल के शिक्षा प्रकोष्ठ से जुड़े शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के सीएम को ज्ञापन…

हल्द्वानी। देवभूमि उद्योग व्यापार मंडल के शिक्षा प्रकोष्ठ से जुड़े शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के सीएम को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के 10 जून 2020 को दिए गए आदेश के क्रम में उत्तराखंड सरकार द्वारा नया आदेश जारी किया गया था। इसी शासनादेश का पालन करते हुए उत्तराखंड के समस्त विद्यालय उपरोक्त शासनादेश के क्रम में ही अभिभावकों से शिक्षण शुल्क ले रहे हैं। इस आदेश के बाद ऐसा लगता था कि विद्यालय के अभिभावक शुल्क जमा करेंगे तथा शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा, परंतु उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध जाकर कुछ स्वयं भी स्वयंभू स्वार्थी नेताओं द्वारा अपना राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध करने के प्रयोजन से अभिभावकों को उनके बच्चों द्वारा ऑनलाइन शिक्षण का लाभ लेने के बावजूद फीस ना देने के लिए बरगलाया जा रहा है।

ऐसे स्वार्थी तत्वों द्वारा अभिभावकों एवं शिक्षकों के संबंधों के मध्य कटुता पैदा कर गहरी खाई बना दी गई है। जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। स्कूल नहीं तो फीस नहीं का नारा देकर उनके द्वारा स्कूलों के विरुद्ध अनर्गल प्रचार किया जा रहा है, जिसे रोका जाना अति आवश्यक है। उनके इस कदम से ऑनलाइन पढ़ा रहे, शिक्षकों के प्रयास एवं बच्चों के भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है तथा विद्यालय के स्टाफ को अपना भविष्य खतरे में दिखाई पड़ रहा है। पुलिस द्वारा फीस जमा न करने के कारण शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों का विद्यालय द्वारा समय से वेतन देने में कठिनाई का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं कुछ स्वयंभू लोगों द्वारा अभाव संघ का अध्यक्ष बन कर आए दिन सोशल मीडिया व अखबारों में विद्यालयों को ऑनलाइन पढ़ाई की फीस ना लॉक डाउन की फीस ना देने आदि का भी चलाया जा रहा है।

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ज्ञापन में सीएम से मांग की गई है कि विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करवाने हेतु विभिन्न अखबारों एवं सोशल नेटवर्किंग साइट्स का संज्ञान लेते हुए इस प्रकार समाज में द्वेष भावना फैला रहे तत्व पर सख्त कार्रवाई की जाए। जिससे शिक्षा का स्तर बना रहे एवं छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहें विद्यालय में यदि फीस जमा नहीं होगी तो निजी विद्यालयों के शिक्षक एवं कर्मचारी वेतन कहां से प्राप्त करने करेंगे। यह विचारणीय प्रश्न है। ज्ञापन में कहा गया है कि कोरोना काल में विद्यालयों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो रही है। राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा उत्तराखंड देहरादून के पत्र के माध्यम से शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा के अंतर्गत निजी विद्यालयों में प्रवेश 1 बच्चों की प्रतिपूर्ति हेतु एक सौ सात करोड़ 40 लाख 98 हजार की धनराशि जनपदों के लिए अवमुक्त की गई थी।

जिसमें जनपद नैनीताल को आठ करोड़ 39 लाख रुपए हस्तांतरित किए गए थे, परंतु वर्तमान परिपेक्ष में कई विद्यालयों को दो हज़ार सत्रह अट्ठारह सत्रह का भी भुगतान नहीं किया गया है जिस वजह से विगत 3 शैक्षणिक वर्ष 2017—18, 2018—19 व 2019—20 की बकाया राशि एक बड़ी आर्थिक सहायता साबित होगी। ज्ञापन में कहा गया है कि यह बात ठीक है कि वर्तमान परिस्थितियों के कारण स्कूल बसें संचालित नहीं हो रही हैं, जिसकी वजह से स्कूलों में खर्चा नहीं हो रहा है। व्यवहारिक आधार पर आंकलन करें तो यह पाएंगे कि स्कूल बस की फीस सिर्फ ईधन व बच्चों के आधार के अनुरूप नहीं होती है। स्कूल की फीस निर्धारण में मालिक का किराया, फाइनेंस कंपनी के लोन की किस्त, ड्राइवर— कंडक्टर तथा महिला कर्मचारी का वेतन, रखरखाव का खर्च के इंजन का खर्चा भी जोड़ा जाता है।

स्कूलों को वाहन स्वामी अथवा फाइनेंस कंपनी, बस के ड्राइवर— कंडक्टर तथा महिला कर्मचारी को भुगतान करना ही होता है। ज्ञापन में कहा गया है कि चूंकि इन प्राइवेट विद्यालयों को राहत राशि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में स्कूलों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्राइवेट विद्यालय सरकार के निर्णय को स्वीकार कर रहे हैं। सीएम रावत से अनुरोध किया गया है कि स्कूल में स्कूल बसों का संचालन शुरू होने तक स्कूल बसों का परमिट और फिटनेस के सापेक्ष में आगे बढ़ाया जाए तथा स्कूल बस के ड्राइवरों—कंडक्टरों व महिला कर्मचारियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

इसके अलावा सरकार से अनुरोध किया गया है कि स्कूल में फाइनेंस कंपनियों के ऋण पर ब्याज भी कम किया जाए जो अप्रत्यक्ष रूप से अभिभावकों को राहत प्रदान करेगा। ज्ञापन देने वालों में प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विकल बवाड़ी, सह संयोजक अभिषेक मित्तल, कुमाऊं संयोजक अनुराग पांडेय, सह संयोजक कुमाऊं राजेंद्र पांडेय, जिला संयोजक चंदन रैक्वाल व सह जिला संयोजक राजेंद्र पोखरिया शामिल थे।

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