- जल संस्थान के हड़ताली संविदा कर्मचारियों को जन अधिकार मंच ने दिया समर्थन
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
जल संस्थान के संविदा एवं आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल के चलते नगर की अति आवश्यक श्रेणी में आने वाली पेयजल व्यवस्था चरमरा गई है। वहीं जल संस्था के अधिकारी जनता को पेयजल मुहैया कराने में नकारे साबित हो रहे हैं। आज रविवार को चौघानपाटा में जल संस्थान के कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे जन अधिकार मंच के संयोजक त्रिलोचन जोशी ने यह बात कही। उन्होंने मौके पर ही विधायक रघुनाथ सिंह चौहान से भी आंदोलित कर्मचारियों की फोन पर वार्ता भी करवाई।
आज जन अधिकार मंच के संयोजक त्रिलोचन जोशी एवं वरिष्ठ परामर्शदाता मनोज सनवाल ने आन्दोलन स्थल में पंहुचकर कर्मचारियों को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की। त्रिलोचन जोशी ने आन्दोलनकारियों की पांच सूत्रीय मांग के समाधान के लिए विधायक एवं उपाध्यक्ष, उत्तराखण्ड विधानसभा रघुनाथ सिंह चौहान से दूरभाष पर वार्ता करके आन्दोलनकारियों की बात कराई।
इस दौरान उन्होंने विधायक से अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्ति देने, ठेका प्रथा को तत्काल हटाकर विभागीय स्तर से वेतन आहरण करने एवं कर्मचारियों को उपनल विभाग के माध्यम से नियुक्ति देने की मांग की। साथ ही वर्तमान में मंहगाई को देखते हुए शासन स्तर से वेतन वृद्धि करने की मांग भी की।
श्री चौहान ने कहा कि वह कर्मचारियों की मांगों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे। मंच के संयोजक त्रिलोचन जोशी ने कहा कि अति आवश्यक सेवा पेयजल से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल से अल्मोड़ा नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र की पेयजल व्यवस्था ठप पडी़ हैं। जल संस्थान के अधिकारी जनता को पेयजल देने में नकारे सिद्ध हो रहे हैं। शासन और प्रशासन कर्मचारियों की मांगों के प्रति गम्भीर नहीं है। जिस कारण जनता को पानी की दिक्कतों का चार दिन से सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आन्दोलन कर्मचारी जल संस्थान की रीढ़ हैं। जब तक ये आन्दोलन में रहेंगे तब तक पेयजल व्यवस्था में सुधार होना सम्भव नहीं हैं।
उन्होंने पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल से भी दूरभाष पर बात करने की कोशिश करी, लेकिन सम्पर्क नहीं हो पाया हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलित कर्मचारियों का अगर उत्पीड़न किया जायेगा तो इसका उग्र विरोध किया जायेगा। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आंदोलित कर्मचारियों की मांगों पर शीघ्र निर्णय लेने की मांग की।