- पेंशनर्स का धरना 45 वें दिन भी रहा जारी
- धरने में बैठे लोगों में अधिकतर अस्वस्थ
- किसी की हुई है हार्ट सर्जरी, तो किसी के प्रोस्टेट ग्लैंड का आपरेशन
— भिकियासैंण से आनंद नेगी की रिपोर्ट —
यहां तहसील मुख्यालय पर पेंशनर्स का धरना आज पैंतालीसवें दिन भी जारी रहा। गोल्ड कार्ड के लिए पेंशन राशि से कटौती के विरोध में पेंशन भोगी कर्मचारी आंदोलित हैं। आज भी धरना प्रदर्शन के साथ सभा हुई। आज, सल्ट विकासखंड के पेंशन भोगी कर्मचारियों ने धरने में भाग लिया। वक्ताओं ने इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। खास बात यह है कि यहां सौ वर्ष की उम्र पार कर चुके इन्द्र सिंह अधिकारी भी रोज़ धरना देने पहुंच रहे हैं।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज सल्ट विकासखंड के पेंशनर्स ने धरना दिया। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने सरकार के रवैए की कड़ी आलोचना की। पेंशन भोगी कर्मचारियों ने कहा कि सरकार के इस रुख से ऐसा लगता है कि, सीनियर सिटीजन का यह ऐतिहासिक आंदोलन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने के बाद ही बाद ही समाप्त होगा। आन्दोलन स्थल पर 91 बर्ष की उम्र पार कर चुके देव सिंह घुगत्याल ने मांग नहीं माने जाने पर आमरण- अनशन करने की चेतावनी दी है। वहीं एक सौ वर्ष की उम्र पार कर चुके इन्द्र सिंह अधिकारी भी रोज़ धरना देने पहुंच रहे हैं।
आंदोलनकारियों ने बताया कि धरने में बैठे लोगों में अधिकतर लोग अस्वस्थ हैं। किसी की हार्ट सर्जरी हुई है तो किसी के प्रोस्टेट ग्लैंड का आपरेशन हुआ है। तमाम तरह की समस्याओं के बावजूद उम्र दराज और शारीरिक रूप से अक्षम लोग अपने हकों की लड़ाई के लिए इतनी दूर तहसील मुख्यालय पहुंच रहे हैं। आन्दोलन स्थल पर बार—बार जनगीत भी गूंज रहे हैं और सरकार विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। बैठक को सम्बोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने शासनादेश की कमियों को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा शासनादेश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण समिति बनाने का उल्लेख है, परन्तु तीन साल बाद भी समिति अस्तित्व में नहीं आयी है। राजकीय कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके परिवारों के लिए डाईग्नोस्टिक सेन्टर व औषधालय पंजीकृत किए जाने हैं, परन्तु अभी तक एक भी सेन्टर पंजीकृत नहीं किया गया है। शासनादेश में आईटी व्यवस्था के अंतर्गत इलाज में हुए खर्च का भुगतान किया जाना है।
उन्होंने कहा कि, शासनादेश में एक तरफ असीमित इलाज किए जाने का उल्लेख किया है, परन्तु दूसरी तरफ शासनादेश में ही इलाज के लिए पैकेज की भी व्यवस्था है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आंखों के आपरेशन के लिए साढ़े सात हजार रुपए निर्धारित किए गए हैं, जबकि आंखों के आपरेशन पर तीस हजार रुपए से भी अधिक धनराशि खर्च हो रही है। गोल्डन कार्ड के लिए पूरे देश में पच्चीस हजार से भी अधिक चिकित्सालयों को सूचीबद्ध किया गया है, परन्तु प्रदेश के अन्दर सरकारी अस्पताल भी इस गोल्डन कार्ड को स्वीकार नही कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कई पैंशनर्स व कर्मचारी वर्तमान में प्राधिकरण द्वारा सूचीबद्ध चिकित्सालयों में अपना इलाज करा रहे हैं, परन्तु उन्हें गोल्डन कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा है। तड़ियाल ने कहा इसमें पैसे की बन्दर बांट हो रही है। केवल प्रचार प्रसार पर ही 2,84,77,600 रुपए खर्च किए गए।
आश्चर्यजनक बात यह कि अप्रेल महीने में हुए कुम्भ मेले में प्रचार—प्रसार पर लगभग ढाई करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि इसके लिए केन्द्र व राज्य सरकार अपनी ओर से करोड़ों रुपए खर्च करती हैं। उन्होंने सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में अनावश्यक रूप से खर्च की गई धनराशि का विवरण रखते हुए सरकार और उसकी एजेंसियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने इन मामलों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आंदोलन में सभी को भाग लेना चाहिए। अन्य वक्ताओं ने भी इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की पुरजोर मांग की। बैठक को सेवानिवृत जिला विद्यालय निरीक्षक डीएस नेगी, शंकर शरण सिंह बिष्ट, भगतसिंह बिष्ट, प्रहलाद सिंह बसनाल, बहादुर सिंह रावत, बलवंत राम आर्य, डीडी लखचौरा, तिल राम आर्य, देव सिंह घुगत्याल, खीमानंद जोशी, मोहन सिंह नेगी, किसन सिंह मेहता, दान सिंह बिष्ट, प्रेम सिंह बिष्ट, धनीराम टम्टा, रमेश चंद्र सिंह बिष्ट, एसएस मावड़ी, यूडी सत्यबली, राम सिंह बिष्ट, कुन्दन सिंह बिष्ट, मदन सिंह नेगी, गंगा दत्त शर्मा, आनन्द प्रकाश लखचौरा आदि ने सम्बोधित किया।