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एम्स ऋषिकेश में शुरू हुआ कोरोना ग्रस्त मरीजों का एंटीबॉडी टेस्ट

देहरादून। एम्स ऋषिकेश में कोविड-19 से ग्रसित मरीजों में एंटीबॉडी टेस्ट की सुविधा उपलब्ध हो गई है। इसके साथ ही संस्थान में कोविड मरीजों की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए पापुलेशन स्क्रीनिंग जांच भी शुरू कर दी गई है। एम्स उत्तराखंड में पहला सरकारी अस्पताल है, जहां रोगियों के लिए उक्त सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तारीकरण की दिशा में सततरूप से प्रयासरत है। इसी क्रम में सुविधाओं का विस्तारीकरण करते हुए एम्स में ऐसी दो ऐसी प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जिनके द्वारा पापुलेशन स्क्रीनिंग के माध्यम से कोरोना वायरस रोग के तेजी से बढ़ते दायरे की निगरानी भी हो सकेगी।

इस प्रयोगशाला का महत्व उत्तराखंड में लगातार बढ़ती कोविड पॉजिटिव मरीजों की संख्या के मद्देनजर और अधिक बढ़ गई है। केंद्र सरकार द्वारा अनलॉक-4 की गाइडलाइन आने के बाद, अब अन्य प्रांतों से आने वाले लोगों के लिए राज्य की सीमाएं खोल दी गई हैं, लिहाजा ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने के साथ-साथ निकट भविष्य में कोविड मरीजों की संख्या में और अधिक बढ़ने की संभावना हो गई है। इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने संस्थान के बायोकैमेस्ट्री विभाग की एंटीबॉडी परीक्षण प्रयोगशाला का विधिवत उद्दघाटन किया।

इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने कहा कि उत्तराखंड में संस्थान द्वारा मरीजों के लिए यह पहली प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जिसमें पॉपुलेशन स्क्रीनिंग और प्लाज्मा थैरेपी की प्रक्रिया के लिए मरीजों की विभिन्न जरुरी जांचें की जा सकेंगी। उन्होंने कहा कि एम्स में स्थापित उत्तराखंड की यह पहली प्रयोगशाला राज्यभर के मरीजों के लिए लाभप्रद होगी। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने कहा ​कि संस्थान में मरीजों को वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, जिससे राज्य व आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को उपचार के लिए अन्य शहरों में नहीं जाना पड़े।

एम्स के बायोकैमेस्ट्री विभागाध्यक्ष प्रो. विवेकानंदन ने बताया कि कोविड मरीज के स्वस्थ होने के बाद उस व्यक्ति से किसी अन्य कोरोना संक्रमित मरीज की प्लाज्मा थैरेपी करने से पूर्व एंटीबॉडी टेस्ट की सुविधा इस प्रयोगशाला में शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस प्रयोगशाला में एसिम्टमेटिक (जिस मरीज में कोविड संक्रमण होने के बावजूद रोग के लक्षण नहीं पाए जाते हैं) मरीजों की गहनता से जांच की सुविधा उपलब्ध है। प्रयोगशाला में स्थापित मशीनों की विशेषता के बारे में उन्होंने बताया ​कि एक बड़ी मशीन में एक समय में 240 सैंपल लगाए जा सकेंगे,

जिनका परिणाम एक घंटे में आ जाता है, जबकि एक अन्य मशीन में 180 सैंपलों की जांच एक साथ की जा सकेगी, इस मशीन से 30 मिनट में परीक्षण के नतीजे प्राप्त किए जा सकते हैं। उद्घाटन समारोह में डीन (एकेडमिक) प्रोफेसर मनोज गुप्ता, ब्लड बैंक प्रभारी डा. गीता नेगी, मेडिसिन विभाग के डा. प्रसन कुमार पांडा, डा. सरमा साहा, डा. कर्णवीर कौशल, बृजेश चंद रमोला, ज्योति तिवारी आदि मौजूद थे।

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