👉 बागेश्वर जिले का दर्दनाक हादसा, जबर्दस्त शोक की लहर
👉 दिल्ली में नौकरी करते थे दयाल, 04 दिन पूर्व आए थे घर
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: बोल्डर की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। मृतक ने वर्ष 2010 की आपदा में इकलौते पुत्र को भी खोया था। घटना के बाद कपकोट क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर स्वजनों को सौंप दिया है।
हिमालयी गांवों में वर्षा का दौर जारी है। रविवार को कपकोट के बड़ेत गांव निवासी 50 वर्षीय दयाल पाठक पुत्र उर्बादत्त पाठक घास काट रहे थे। उस दौरान वर्षा चल रही थी। इससे बड़ेत मोटरमार्ग की कटिंग का मलबा और बोल्डर गिरने लगा। इसी बोल्डर की चपेट में आने से दयाल पाठक खाई में गिर गए। स्वजनों ने पुलिस को सूचना दी। खाई से उन्हें निकाला गया और अस्पताल ले गए, तो चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक दिल्ली में नौकरी करते थे। वह बीते चार दिन पूर्व ही घर आए थे।
यहां उल्लेखनीय है कि स्व. दयाल ने वर्ष 2010 की आपदा में अपना इकलौता पुत्र करन पाठक को खोया था। मालूम हो कि 18 अगस्त 2010 में सरस्वती शिशु मंदिर सुमगढ़ के पीछे भूस्खलन हुआ था। जिसमें उनके पुत्र सहित 18 मासूम जिंदा दफन हो गए थे। मृतक की तीन पुत्रियां हैं। उनकी 24 वर्षीय रेखा और 20 वर्षीया गीता हैदराबाद में जेएनएम की पढ़ाई कर रही है। तीसरी पुत्री 22 वर्षीय रेनू है। वह अपनी पत्नी चंद्रा पाठक व पुत्रियों को रोता—बिलखता छोड़ गए। आपदा ने पूरे परिवार की सारी खुशियां छीन ली हैं।
इधर विधायक कपकोट सुरेश गड़ियां, जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, जिला पंचायत सदस्य वंदना ऐठानी, प्रभा गड़ियां, प्रमुख गोविंद दानू पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद बिष्ट, ग्राम प्रधान भूपेश ऐठानी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, भावना कोरंगा, प्रहलाद कपकोटी, हरीश पाठक आदि ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। इधर, थानाध्यक्ष कपकोट केएस बिष्ट ने कहा कि शव पोस्टमार्टम के बाद स्वजनों को सौंप दिया है। घटना की सभी कोणों से जांच की जा रही है।