Well Done : काम आया दादा का आशीर्वाद, पिता की फटकार ! विश्व के Top 08 शटलरों में शामिल हुए लक्ष्य सेन
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- BWF world tour tournament में चयनित सबसे युवा खिलाड़ी
— दीपक मनराल —
देवभूमि उत्तराखंड की अल्मोड़ा नगरी में तराशा गया यह हीरा अब देश—विदेश में अपनी चमक से खेल जगत के पारखियों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। सांस्कृतिक व बौद्धिक नगरी अल्मोड़ा के लिए इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा कि होनहार बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन बी.डब्लू.एफ. वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट में स्थान बनाने वाले देश के सबसे युवा खिलाड़ी बन चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि लक्ष्य सेन को बैडमिंटन का खेल विरासत में मिला है। अपने दादा का प्रोत्साहन तो पिता की डांट—फटकार आज लक्ष्य के काम आ गई है। ज्ञात रहे कि अल्मोड़ा के तिलकपुर में जन्में लक्ष्य सेने ने बीते सालों में कई राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय पदक जीतकर उत्तराखंड व देश का गौरव बढ़ाया है।गर्व की बात तो यह है कि इसी हफ्ते वह बी.डब्लू.एफ. वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट हेतु चयनित होने वाले देश के अब तक के सबसे युवा शटलर बन गये हैं।
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ज्ञात रहे कि यह टूर्नामेंट 01 दिसम्बर से 05 दिसम्बर 2021 तक बाली द्वीप समूह (इण्डोनेशिया) में होगा। जिसमें वर्ष भर में किये गये प्रदर्शन के आधार पर दुनिया के टॉप 8 शटलर प्रतिभाग करते हैं। लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त, 2021 को तिलकपुर वार्ड, अल्मोड़ा में हुआ था।
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जब हम विरासत की बात करते हैं तो उनके दादा बैडमिंटन के पुरोधा स्व० सीएल सेन का जिक्र प्रासंगिक हो जाता है, जो कि बैडमिण्टन के एक उम्दा खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने वैटरन में राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताएं जीती हैं। अल्मोड़ा में इस खेल को बढ़ावा देने में उनके अभूतपूर्व योगदान को अभी भी बड़े—बुजुर्ग याद किया करते हैं। वहीं लक्ष्य के पिता डीके सेन भारतीय खेल प्राधिकरण में बैडमिण्टन के कोच रहे हैं तथा वर्तमान में प्रकाश पादुकोण बैडमिण्टन एकेडमी बंगलौर में प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह भी अर्न्तराष्ट्रीय वैटरन खिलाड़ी रहे हैं। वह भारतीय सब जूनियर, जूनियर, सीनियर टीम के कोच रहे हैं और कई बार भारतीय बैडमिण्टन टीम के साथ विदेश दौरे पर गये हैं।
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यही नहीं, लक्ष्य के बड़े भाई चिराग सेन भी अर्न्तराष्ट्रीय बैडमिण्टन खिलाड़ी हैं। वे भी सब जूनियर तथा जूनियर वर्ग में नेशनल चैम्पियन रहे हैं तथा कई अर्न्तराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं। वह जूनियर वर्ल्ड नम्बर 2 भी रह चुके हैं। लक्ष्य की प्रारम्भ से 12 वीं तक की शिक्षा अल्मोड़ा के वीर शिवा स्कूल से हुई है, जहां उनकी माता श्रीमती निर्मला धीरेन्द्र सेन भी बतौर शिक्षिका कार्यरत थीं। बियरशिवा स्कूल की तत्कालीन प्रधानाचार्या श्रीमती शोभना बनर्जी का उनकी पढ़ाई में बहुत योगदान रहा है। लक्ष्य को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने में उनकी भूमिका को कतई भुलाया नहीं जा सकता। लक्ष्य सेन वर्तमान में प्रकाश पादुकोण एकेडमी बंगलौर में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिस वजह से उनका परिवार भी बंगलौर में बस गया है, लेकिन उनकी बुआएं तथा चाचा अल्मोड़ा में ही रह रहे हैं।
ज्ञात रहे कि अल्मोड़ा आज पूरे देश में बैडमिण्टन खेल का हब बनने जा रहा है। लक्ष्य के अलावा चिराग सेन, कुहू गर्ग, बोधित जोशी, अक्षिता भण्डारी, ध्रुव रावत, अदिति भट्ट, उन्नति बिष्ट, स्नेहा रजवार, शिवम मेहता, प्रणव शर्मा आदि कई अन्य खिलाड़ी राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड का नाम रोशन कर रहे हैं। इधर आपीएस अशोक कुमार, पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, उत्तराखंड बैडमिंटन संघ के सचिव बीएस मनकोटी, जिला क्रीड़ा अधिकारी, अल्मोड़ा सीए वर्मा, बैडमिंटन संघ अल्मोड़ा के अध्यक्ष प्रशांत जोशी, डॉ. पीके मेहता, अध्यक्ष बार एसोसिएशन अल्मोड़ा शेखर लखचौरा,अर्न्तराष्ट्रीय जूनियर खिलाड़ी शिवम मेहता आदि तमाम खेल प्रेमियों ने लक्ष्य सेन की इस उपलब्धि पर अपार हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। साथ ही लक्ष्य को लेकर अपने कई अनुभव संस्मरण भी साझा किये हैं।
बैडमिण्टन खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में उत्तराखंड बैडमिंटन संघ का बड़ा योगदार : निर्मला धीरेन्द्र सेन (लक्ष्य सेन की माता)
उत्तराखण्ड के बैडमिण्टन खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में उत्तराखण्ड बैडमिण्टन संघ का बहुत बड़ा योगदान रहा है। बैडमिण्टन संघ ने समय-समय पर अपने उदीयमान खिलाड़ियों को उच्च कोटि प्रशिक्षण हेतु इण्डोनेशिय तथा थाइलैंड भेजा है। देहरादून और अल्मोड़ा में विदेशी कोच बुलाकर कैम्प का आयोजन करवाया है। उत्तराखण्ड में कई जूनियर तथा सीनियर राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट आयोजित करवाये। उन सबकी बदौलत ही लक्ष्य तथा कई अन्य खिलाड़ी आज राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा खेल रहे हैं ।
लक्ष्य सेन की उपलब्धियां, एक नज़र में —
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