नई दिल्ली। डब्ल्यू.एच.ओ. ने अपने नए शोध में कोरोनावायरस से जुड़े सबसे बड़े भ्रम और झूठ का खुलासा कर दिया है। जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि इन्फ्रारेड थर्मामीटर गन से कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति का पता नही लग सकता है। इस तरह का थर्मामीटर सिर्फ बुखार पीड़ित की जानकारी देता है, जबकि हकीकत तो यह है कि अब तक पाये गये 90 प्रतिशत कोविड 19 संक्रमितों में शुरूआती दिनों में बुखार के कोई भी लक्षण नही थे।
डब्ल्यूएचओ और द लैंसेट ने अपने नए शोध में कोरोनावायरस से जुड़े कई झूठों का खुलासा किया है, जिसमें सबसे बड़ा झूठ यही है कि इन्फ्रारेड थर्मामीटर से किसी कोविड 19 संक्रमित का पता चल जाता है।
यह ख़बर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि मौजूद समय में ज्यादातर मोहल्ले, घर, ऑफिस, बिल्डिंग, किराने की दुकान और लोकल सैलून इन दिनों इन्फ्रारेड थर्मामीटर गन से लैस हैं। लोग 2 से 5 हजार रुपए खर्च करके इन्हें खरीद रहे हैं, लेकिन इसे डब्ल्यूएचओ ने खारिज कर दिया है। हालत तो यह है कि इस तरह का थर्मामीटर लोग संस्थानों, प्रशासनिक अधिकारियों आदि को प्रदान कर अपनी फोटो अख़बारों और सोशल मीडिया में शेयर कर फूले नही समा रहे हैं। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इस गन से काेराेना संक्रमित व्यक्ति का पता बिल्कुल भी नहीं लगा सकते हैं। ये तथ्य भी ध्यान रखना चाहिए कि ये गन हवाई अड्डों पर संक्रमण को पकड़ने का प्राथमिक स्रोत थीं, फिर भी संक्रमण इतनी दूर तक फैल गया। इससे इसकी विश्वसनीयता के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।
शोध रिपोर्टों मे कहा गया है कि आम धारणा है कि कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में थर्मल गन बुखार (यानी नॉर्मल ह्यूमन बॉडी टेम्परेचर से ज्यादा टेम्प्रेचर) का पता लगा सकते हैं। हकीकत यह है कि इससे उन लोगों का पता नहीं चलता, जिनमें कोई बुखार जैसे लक्षण ही नहीं है। दूसरी बात अब 90 फीसदी मरीजों में लक्षण ही नहीं दिख रहे। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि संक्रमित लोगों के बीमार पड़ने व बुखार होने में 2 से 10 दिन का समय लगता है। सिर्फ किसी को बुखार होने का मतलब यह नहीं है कि वह कोरोना से पीड़ित है।
संक्रमित व्यक्ति को अल्कोहाल से नहलाने पर भी नही खत्म होगा वायरस
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना काल में लोग एक भ्रम और पाले हुए हैं कि
कि घर के अंदर और बाहर अथवा शरीर पर अल्कोहल या क्लोरीन का छिड़काव करने से वायरस खत्म हो सकता है। अल्कोहल और क्लोरीन का छिड़काव करना सरफेस को डिसइंफेक्ट करने का एक बेहतरीन तरीका है। इससे हाथ भी साफ हो सकते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि संक्रमित व्यक्ति के पूरे शरीर पर कैमिकल छिड़कर वायरस को खत्म नहीं कर सकते। ऐसे पदार्थों का छिड़काव कपड़े, आंख, मुंह के लिए हानिकारक हो सकता है।
सांस रोके रखने से नही होगी संक्रमण की टेस्टिंग
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी साफ किया है कि बहुत से लोग यह भ्रम पाले है। कि अगर वह 10 सैकंड तक बिना दिक्कत के सांस रोक सकते हैं, तो कोरोना संक्रमित नही है। शोध में यह नतीजा निकल कर आया है कि यह दावा पूरी तरह गलत है। कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं इसकी पहचान सिर्फ टेस्ट के जरिए ही की जा सकती है। 10 सेकंड तक सांस रोक पाने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति संक्रमित नहीं है। यह कोरोना वायरस ही नहीं, लंग्स से जुड़ी किसी भी बीमारी को लेकर आपका ये सेल्फ टेस्टिंग टेक्निक भारी पड़ सकता है।
अलबत्ता इस स्टडी में सलाह दी गई है कि कोरोना को लेकर किसी चलते—फिरते व्यक्ति से सलाह लेने की बजाए हैंड हाइजीन का ख्याल रखें, एक-दूसरे से 6 फीट की दूरी हो और हेल्थ केयर वर्कर्स N-95 मास्क पहने रखें। कोरोना से बचने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतने की जरूरत हे, न कि उल जलूल बातों पर विश्वासन करने की।