महंगाई के इस दौर में सिर्फ 3650 रूपये मासिक से कैसे चलेगा खर्चा !

✒️ जल संस्थान के पीटीसी कार्मिकों का कोई पुरसाहाल नहीं सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। इस भीषण महंगाई के दौर में क्या कोई चार हजार से भी…

पीटीसी कर्मचारी संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष शिवराज सिंह नेगी

✒️ जल संस्थान के पीटीसी कार्मिकों का कोई पुरसाहाल नहीं

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। इस भीषण महंगाई के दौर में क्या कोई चार हजार से भी कम मासिक वेतन में अपने तथा परिवार का भरण-पोषण कर सकता है, बिल्कुल नहीं। यहां हम बात कर रहे हैं प्रदेश में कार्यरत करीब उन साढ़े चार हजार पीटीसी (पार्ट टाइम चौकीदार) कर्मचारियों की, जिन्हें महज 3650 मासिक वेतन मिल रहा है।

ऐसा नहीं है कि इस अन्याय व उत्पीड़न के खिलाफ पीटीसी कर्मचारियों ने कभी आवाज नहीं उठाई। हकीकत तो यह है कि सालों तक कार्मिक ने ना केवल आंदोलन किया है, बल्कि कोर्ट का दरवाजा भी खटकटा चुके हैं। यह न्यायालय के हस्तक्षेप का परिणाम है कि आज इन कार्मिकों को पूरी तरह हटाया नहीं गया है। नहीं तो इन्हें कई साल पहले ही नौकरी से बेदखल कर दिया होता।

पीटीसी संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष भैसियाछाना शिवराज सिंह नेगी ने एक मुलाकात में बताया कि प्रदेश में पीटीसी कर्मचारियों की संख्या करीब 4500 तथा अल्मोड़ा में 900 के करीब है। उन्होंने बताया कि आज की तारीख में विभाग में काम करते हुए कई कर्मचारियों को 25 साल से भी अधिक का समय बीत गया है, लेकिन उनको न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता है। ​श्री नेगी ने बताया कि वह स्वयं साल 1984 में जल निगम में बतौर पीटीसी कर्मचारी नियुक्त हुए थे। तब उन्हें महज 100 रूपया मासिक वेतन मिलता था। आज उनकी नियुक्ति के पूरे 37 साल बीत चुके हैं।

उन्होंने बताया कि पहले पीटीसी कर्मचारी जल निगम में तैनात हुए थे, लेकिन बाद में उन्हें जल संस्थान में समायोजित कर दिया गया था। पीटीसी कर्मचारियों को लेकर सरकार की कोई स्पष्ट नीति आज तक नहीं बनी है। पीटीसी कर्मचारियों की अन्य विभागों की तरह सेवानिवृत्ति पर पेंशन मिलनी चाहिए। साथ ही न्यूनतम वेतनमान का भी निर्धारण होना चाहिए। शिवराज सिंह नेगी ने कहा कि साल 2000 में जब स्वजल की स्वैप योजना आई थी तब कार्मिकों को हटाना शुरू कर दिया गया था। जिसके खिलाफ उन्होंने आंदोलन किया और बाद में हाईकोर्ट भी गए। जिसके फलस्वरूप कार्मिकों को नहीं हटाया गया। एकल ग्राम पेयजल योजनाओं में तैनात पीटीसी कर्मचारियों को हटाए जाने का आदेश गत 03 फरवरी, 2010 को निरस्त हो गया था।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड जल संस्थान में कार्यरत पीटीसी कर्मचारियों जिनको विभागीय सेवा के 20 से 25 साल हो गए हैं, को मानदेय महज 3650 रूपये मासिक मिल रहा है। वहीं, जिनके पास एक से अधिक लाइने हैं उन्हें भी सिर्फ 04 हजार वेतन ही दिया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में पीटीसी कर्मचारियों का काम योजनाओं के रखरखाव के अलावा वसूली संबंधी कार्य भी हैं। इन सभी कार्मिकों को न्यूनतम वेतन 18 हजार मासिक तथा हटाए जाने पर पेंशन 05 से 06 हजार मासिक मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अपनी मांगों को लेकर कार्मिक पुन: एकजुट हो रहे हैं तथा होली पर्व के बाद दोबारा आंदोलन शुरू कर दिया जायेगा।

व्यापारी बोले बायकॉट दुग्ध संघ अल्मोड़ा एंड आंचल प्रोडेक्ट्

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *