सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
ग्रामीणों की लापरवाही से जंगल पहुंची आग ने प्रचंड रूप धारण कर लिया और बड़ा वन क्षेत्र अपने आगोश में ले लिया। जिसने वन विभाग चिंता में आ गया। बड़ी संख्या में वन कर्मियों के जुटे रहने से भी आग नहीं बुझी, तो सेना के जवान बुलाने पड़े। वन कर्मियों के साथ सेना के जवानों, रानीखेत कैंट की टीम मिलकर तीन दिन तक आग बुझाने में जुटे रहे। तब जाकर तीन दिनों में आग बुझ पाई, हालांकि इसमें काफी वन संपदा नष्ट हुई है। यह मामला अल्मोड़ा वन प्रभाग के रानीखेत वन क्षेत्र का है।
हुआ यूं कि अल्मोड़ा वन प्रभाग के रानीखेत वन क्षेत्र अन्तर्गत जागदेव बीट में गत 8 अप्रैल को आग धधक गई। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। देखा कि आग सिमौली और देवली गांव की ओर से धधकी। इसके बाद पैदल जंगल पहुंचकर काफी मशक्कत कर वन विभाग कर्मियों ने आग पर काबू पा लिया, लेकिन अगले ही दिन 09 अप्रैल को प्रचंड धूप में हवा के झौकों से यह वनाग्नि दुबारा धधक पड़ी और दलमोटी बीट की ओर बढ़ी। इस क्षेत्र में कोई भी मोटरमार्ग अथवा रिहायशी क्षेत्र नहीं था।
वन विभाग की लगभग 40 सदस्यों की टीम इस आग की रोकथाम में जुटी रही। कुछ कर्मचारी चौबटिया, तो कुछ दलमोटी गांव की ओर आग बुझाते रहे, लेकिन तापामन में वृद्धि और हवा के कारण वनाग्नि ने विकराल रूप धारण कर लिया था।
प्रचंड आग पर काबू पाने के लिए प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा महातिम यादव ने जिलाधिकारी से पत्राचार करते हुए वनाग्नि रोकथाम में सैन्य बलों/अन्य विभागों से सहयोग प्रदान करवाने का अनुरोध किया। इस पर डीएम वंदना सिंह ने तत्काल आदेश जारी करते हुए जागदेव बीट में लगी वनाग्नि की रोकथाम के लिए संयुक्त मजिस्ट्रेट, रानीखेत तथा छावनी परिषद को निर्देशित किया। प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने बताया कि इसके बाद गत 10 अप्रैल को चौबटिया से 27 पंजाब रेजीमेंट के 45 सैनिक और 14 डोगरा रेजीमेंट से 22 सैनिक आग बुझाने में सहयोग के लिए उपलब्ध हुए। इनके अलावा वन विभाग के लगभग 50 कर्मचारी लगे रहे और छावनी परिषद रानीखोत के वन क्षेत्राधिकारी भी छावनी परिषद के 10 कर्मचारियों को साथ वनाग्नि की रोकथाम में सहयोग को पहुंचे। वहीं भूमि संरक्षण वन प्रभाग, रानीखेत की गगास रेंज तथा सिविल एवं सोयम वन प्रभाग, अल्मोड़ा की चौबटिया रेंज के अधीनस्थ स्टाफ ने भी वनाग्नि रोकथाम में सहयोग प्रदान किया। यह सभी टीमें प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा महातिम यादव व वन क्षेत्राधिकारी हरीश कुमार टम्टा के नेतृत्व में नवरात्र के अष्टमी पर्व व रामनवमी को भी इस कार्य में जुटे रहे। लगातार तीन दिनों की भारी मशक्कत के बाद 11 अप्रैल को इस वनाग्नि पर नियंत्रण पा लिया गया।
स्वास्थ्य हुआ प्रभावित
प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने बताया है कि लगातार तीन दिनों तक आग बुझाने में जुटे वन विभाग के कई फायर वाचरों व कर्मचारियों का गर्मी व आग के धुएं से स्वास्थ्य खराब होने लगा है। उन्हेंं बुखार व अन्य दिक्कतें हो रही हैं।
लापरवाही से लगी आग
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि कतिपय ग्रामवासियों की लापरवाही से यह वनाग्नि धधकी। जिससे बड़ी मात्रा में वन संपदा की हानि हुई है।