सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी
प्रशिक्षित बेरोजगार एलोपैथिक डिप्लोमा फार्मासिस्ट महासंघ कुमाऊँ मण्डल के बैनर तले यहां बुद्ध पार्क में फार्मासिस्टों ने स्वास्थ्य विभाग की नीतियों के खिलाफ व लंबित मांगों को लेकर धरना दिया। साथ ही प्रदेश सरकार से फार्मेसिस्ट संवर्ग में भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग की गई।
महासंघ के मण्डल अध्यक्ष विपिन डसीला एवं मण्डल महामंत्री कमलेश बिष्ट की अध्यक्षता में धरने के दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि IPHS के मानक durg and cosmatic act 1940 एवं फार्मासिस्ट एक्ट 1948 के प्रावधानों एवं सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गये निर्णयों का अनुपालन है। क्योंकि दिये गए निर्णयों के अनुसार दवाइयों का भंडारण, वितरण व दवाई से जुड़े समस्त कार्य केवल प्रशिक्षित एवं पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही संपादित किया जा सकता है। इसके बावजूद उत्तराखण्ड मे गैर फार्मासिस्ट व्यक्ति के हाथो यह कार्य सौंप कर नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
ऐसे में अगर भर्तियां नही होती हैं तो बेरोजगार फार्मासिस्टों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही समस्त मांगों को गंभीरता एवं साहनुभूतिपूर्वक तत्काल संज्ञान मे नही लिया गया तो प्रशिक्षित बेरोजगार फार्मासिस्ट (एलोपैथिक) महासंघ एवं सभी बेरोजगार फार्मासिस्टों को विवश होकर प्रदेश स्तर पर धरना—प्रदर्शन करने के लिए विवश होना होगा।
इधर फार्मासिस्ट हितों मे एक प्रतिनिधिमंडल ने शासन से भी वार्ता की। प्रमुख मांगों में विभाग में वर्षों से रिक्त पड़े हुए पदों पर नियुक्ति, उप केंद्रों पर वर्ष 2005—06 में जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सृजित 539 फार्मासिस्टों के पदों को यथावत रखने एवं अवशेष 1368 उपकेंद्रों पर जहां फार्मासिस्ट के पदों का सृजन नहीं हुआ है, पद सृजित कर नियुक्ति प्रक्रिया के विषय में वार्ता की गई। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈
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कुमाऊं मण्डल अध्यक्ष विपिन डसीला द्वारा बताया गया कि वर्तमान में फार्मेसिस्ट संवर्ग में एक भी पद पर भर्ती प्रक्रिया नहीं है, क्योंकि राज्य में आईपीएचएस मानकों के तहत उप केंद्रों से फार्मेसिस्ट के पद खत्म कर दिए गए हैं और उन पदों की नियुक्त फार्मेसिस्ट को चिकित्सालय में रिक्त हुए पदों पर समायोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानकों के कारण फार्मेसिस्ट के पदों की संख्या भी पूर्व से भी कम हो गई है। जिस कारण भी विभाग में वर्तमान परिपेक्ष में फार्मासिस्ट के किसी पद पर नई नियुक्ति संभव नहीं है इसका विरोध प्रदेश स्तर तक किया जायेगा।
महासंघ के जिला अध्यक्ष नरेन्द्र पवार द्वारा बताया गया कि विभाग अथवा शासन के इस निर्णय से 20 वर्षों से रोजगार की आस लगाए हजारों फार्मेसिस्ट को आघात पहुंचा है और सरकार अथवा विभाग की इस नीति का पुरजोर विरोध करते हैं। स्वास्थ्य विषय राज्य सूची का विषय है और राज्यों को अधिकार होता है कि अपने यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं स्थितियों को देखते हुए जनमानस को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने हेतु उसमें परिवर्तन कर सकती है, परंतु विभाग अथवा सरकार द्वारा केन्द्र की नीति को यहां लागू कर जनस्वास्थ एवं बेरोजगारों के भविष्य के साथ घोर अन्याय किया गया है।
जिला उपाध्यक्ष नीरज ततराडी ने इस संबंध मे कहा की फार्मासिस्ट विभाग की महत्वपूर्ण कड़ी है। दवा वितरण से लेकर प्राथमिक उपचार देने में वह पारंगत होता है। आज दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जहां डाक्टर जानें से आज भी कतराते है, वहां पर उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, बावजूद इसके इस महत्वपूर्ण पद की अनदेखी की जा रही है।
विपिन डसीला द्वारा कहा गया की महासंघ द्वारा इस सम्बंध में अतिशीघ्र माननीय स्वास्थ्य मंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया जायेगा और सकारात्मक कार्यवाही नहीं होने पर महाआंदोलन के किए विवश होना पड़ेगा।
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प्रतिनिधि में कुमाऊं मण्डल उपाध्यक्ष धीरज बहुगुणा, महासचिव हरीश जोशी, जिला अध्यक्ष नरेन्द्र पवार, जिला उपाध्यक्ष नीरज ततराडी, जिला महासचिव मुकेश रावत, जिला कोषाध्यक्ष राजू छुफाल, जिला संयोजक कमलेश चंद्र एवं जिला कार्यकारणी सदस्य चंद्रशेखर कफल्टिया एवं मोना पपोला आदि शामिल रहे।