भिकियासैंण : पेंशनरों का शोषण कर रही है सरकार, फिजूलखर्ची का लगाया आरोप
- भिकियासैंण में धरना प्रदर्शन जारी
भिकियासैंण। गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले पेंशन भोगी कर्मचारियों का आंदोलन यहां तहसील मुख्यालय पर आज 49 वें दिन भी जारी रहा। धरना—प्रदर्शन में बहुत से उम्र दराज लोग भी भाग ले रहे हैं। धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड आनंद सिंह नेगी ने कहा कि इस सरकार से समाज का कोई भी तबका संतुष्ट नहीं है किसान आंदोलित हैं। पेंशन धारी आंदोलित हैं, लेकिन सत्ता में बैठे लोग कुंभकरणी नींद सो रहे हैं।
तहसील मुख्यालय पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज भिकियासैंण विकासखंड के पेंशनर्स ने धरने में प्रतिभाग किया। आज धरने को समर्थन देने के लिए अखिल भारतीय किसान महा सभा के प्रान्तीय अध्यक्ष कामरेड आनन्द नेगी व कामरेड श्याम सिंह बिष्ट भी आये थे। बैठक को सम्बोधित करते हुए कामरेड आनन्द नेगी ने कहा कि, यह सरकार निरंकुश हो गई है। जनता पर मनमाने कानून थोप रही है। यहां पेंशनर्स को बेहतर स्वास्थ्य लाभ के नाम पर ठगा है। उधर किसानों को अच्छे कृषि कानून के नाम पर ठगा है। गांव के घरों तक जंगली जानवरों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वन्य जीव संरक्षण कानून के कारण गांवों में जंगली जानवरों का आतंक हो गया है।
संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने अपने संबोधन में कहा कि, हमारी नजर आज होने जा रही कैबिनेट की बैठक पर है। यदि सरकार ने आज भी गोल्डन कार्ड की कटौती बन्द करने का प्रस्ताव पारित नहीं किया तो हमें आंदोलन की नई रणनीति तैयार कर आन्दोलन को पूरे प्रदेश भर में फैलाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा अभी तक ऐसा आन्दोलन कहीं देखने को नही मिला है, जिसमें इतनी अधिक आयु के लोगों ने शिरकत की हो। उन्होंने कहा जब तक गोल्डन कार्ड के नाम पर कटौती बन्द नहीं होती और अभी तक वसूली गई धनराशि मय ब्याज वापस नही हो जाती हमारा आन्दोलन चलता रहेगा। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि, नौ महीने से अभी तक गोल्डन कार्ड बने नहीं हैं, कटौती किस चीज की हो रही है ? शासनादेश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण समिति बनाने की बात कहीं गई है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई समिति अस्तित्व में नहीं है। पेंशनर्स व कर्मचारियों के लिए औषधालय व डाईग्नोस्टिक सेन्टर चिन्हित किए जाने थे, लेकिन कहीं भी ऐसे सेन्टर चिन्हित नहीं हुए हैं। प्रचार—प्रसार के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। फिजूल खर्ची का आलम यह है कि प्राधिकरण की वर्षगांठ पर ही साठ लाख रुपए से भी अधिक खर्च किए गए हैं।
वक्ताओं ने कहा कि हम प्राधिकरण के खर्चों की किसी स्वतंत्र एजेंसी अथवा सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हैं। बैठक को पूर्व प्रधानाचार्य गंगा दत्त जोशी, शोबन सिंह मावड़ी, धनीराम टम्टा, गोविन्द राम आर्य, लीलाधर जोशी, देवी दत्त लखचौरा, यूडी सत्यबली, गोपाल दत्त सती, प्रहलाद सिंह बसनाल, गंगा दत्त शर्मा, मोहन सिंह नेगी, आनन्द प्रकाश लखचौरा, रमेश चंद्र सिंह बिष्ट, राम सिंह बिष्ट, देव सिंह बंगारी, नन्द राम आर्य, कैलाश चन्द्र जोशी, कुबेर सिंह कड़ाकोटी, खीमानंद जोशी, प्रताप सिंह अधिकारी आदि ने सम्बोधित किया। धरना स्थल पर जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए गए। आन्दोलनकारियों ने जन गीतों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। बैठक के अन्त में लखीमपुर खीरी में हुए नर संहार में मारे किसानों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई।