अपडेट : आज भी शहीद जवान का पार्थिव शरीर नहीं पहुंच पाया हल्द्वानी

हल्द्वानी अपडेट। दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्र सियाचिन में 38 साल पहले शहीद हुए लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके घर…


हल्द्वानी अपडेट। दुनिया के सबसे दुर्गम युद्ध क्षेत्र सियाचिन में 38 साल पहले शहीद हुए लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके घर हल्द्वानी नहीं पहुंच पाया। पार्थिव शरीर अब बुधवार को पहुंचने की संभावना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए कल हल्द्वानी पहुंचेंगे।

खराब मौसम बना खलल

अनुमान था कि सेना का हेलीकाप्टर आज पार्थिव शरीर को लेकर हल्द्वानी पहुंचेगा लेकिन मौसम खराब होने के चलते पार्थिव शरीर आज नहीं पहुंच पाया। प्रशासन की ओर से भी शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए आज सभी प्रकार की तैयारियां की गयी थीं लेकिन अंतिम समय में सब स्थगित करना पड़ा। मुख्यमंत्री धामी को भी अंतिम समय में अपना दौरा स्थगित करना पड़ा।

चंद्रशेखर हर्बोला सियाचिन में थे तैनात

कुमाऊं रेजीमेंट (19) के लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला सियाचिन में तैनात थे। पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ को निष्फल करने के लिए 19 कंमाऊं रेजीमेंट के एक दल को आपरेशन मेघदूत की जिम्मेदारी सौंपी गयी। दल के 19 सदस्यों को सियाचिन की दुर्गम चोटी के लिए रवाना किया गया लेकिन पूरा दल रास्ते में भीषण हिमस्खलन की चपेट में आ गया और सभी शहीद हो गये। लांसनायक हर्बोला भी इस दल में थे लेकिन उनका उस समय कुछ पता नहीं चल पाया था।

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परिजनों को 14 अगस्त को मिली सूचना

तीन दिन पहले 14 अगस्त को सेना की ओर से लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मिलने की सूचना परिजनों को दी गयी। साथ ही शहीद की धर्मपत्नी शांति देवी से उनके बेच नंबर की पुष्टि की गयी। उप जिलाधिकारी मनीष कुमार की ओर से भी शहीद के परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त की गयी।

उप जिलाधिकारी कुमार ने बताया कि खराब मौसम के चलते आज शहीद का पार्थिव शरीर हल्द्वानी नहीं पहुंच पाया। अब कल पहुंचने की संभावना है। शहीद की दो पुत्रियां हैं और उनकी धर्मपत्नी शांति देवी इन दिनों हल्द्वानी की नई आईटीआई रोड धान मिल, स्थित सरस्वती विहार, डहरिया में रहती हैं।

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