देहरादून। छात्रवृृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने हरिद्वार जिले के दो इंस्टीट्यूटस से संबद्ध एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जिसके नाम से दोनों संस्थानों का बैंक में खाते चल रहे थे। दोनों ही संस्थान अपनी संबद्धता के मामले में फर्जी दावे कर रहा था जबकि उनकी असली यूनिवर्सिटीज ने उनके दावे को नकार दिया है। पूछताछ में आरोपी ने तत्कालीन सहायक समाज कल्याण अधिकारी को इस पूरे घोटाले में 12 प्रतिशत दिए जाने का दावा भी किया है।
एसआईटी द्वारा जारी मीडिया नोट में बताया गया है कि मामले की जांच कर रहे एसआई प्रवीण बिष्ट ने हरिद्वार के बहादराबाद, क्रिस्टल वर्ल्ड के नजदीक स्थित हेमलता इंस्टीट्यूट को चलता दिखाया गया था। इस संस्थान की मान्यता राजस्थान के झुंझुनूं जिले के अंतरगत आने वाली सिंघानिया यूनिवर्सिटी से बताई गई थी। इस संस्थान के खाते छात्रवृत्ति के तौर पर वर्ष 2013—14 में 50 लाख 26 हजार से अधिक की धनराशि दी गई। संस्थान का खाता आवास विकास, गंगनहर, रुड़की निवासी अश्वनी टंडन के नाम से था।
जांच में छात्रवृत्ति की सूची में दर्ज छात्रों ने एसआईटी को बताया कि उनके मूल दस्तावेजों को लेकर उन्हें इस स्टडी सेंटर में भर्ती कराया गया था। उन्हें बताया गया था कि कि स्टडी सेंटर सिंघानिया यूनिवर्सिटी राजस्थान से मान्यता प्राप्त है। लेकिन भौतिक सत्यापन करने पर यह स्टडी सेंटर सिर्फ चार कमरों में ही पाया गया। यहां छात्र कभी भी पढ़ने नहीं गए। परीक्षा के नाम पर उन्हें एक दिन सहारनपुर उत्तर प्रदेश ले जाया गया। सिंघानिया विवि से पूछताछ करने पर वहां से पता चला कि इस नाम का कोई सेंटर उनके यहां मान्यता प्राप्त नहीं है।
उसे कल एसआईटी ने दबोच लिया। उसे कल अनुकंपा अपार्टमेंट, सेक्टर 5, राजेंद्र नगर , गाजियाबाद से एसआईटी के दरोगा प्रवीण बिष्ट व हवलदार निजामअली ने गिरफ्तार किया। टंडन ने बताया कि उसके संस्थान का भौतिक सत्यापन करने आए तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी मनीष त्यागी को छात्रवृत्ति की धनराशि का 12 प्रतिशत दिया गया था।
मामले की विवेचना में उप निरीक्षण प्रवीण बिष्ट ने किरन इंस्टीट्यूट आफ टेक्निकल, एन्पावर अकेडमी विवेक विहार के वर्ष 2012 से वर्ष 2014 तक के छात्र वृत्ति तीन करोड़ 68 लाख 56 हजार 450 रुपये की धनराशि में भी अनियमितताएं पाई गई। इस मामले में हरिद्वार के सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। विवेचना के दौरान पाया गया कि संस्थान के संचालक मानव भारतीय विश्व विद्यालय, सोलन हिमाचल से मान्यता प्राप्त बता रहे थे।
जबकि यूनिवर्सिटी से पता चला कि उन्होंने इस संस्थान को कोई मान्यता नहीं दी है। यह स्टडी सेंटर एक कमरे में चल रहा था। इसका संचालन भी अश्वनी टंडन कर रहा था। इस मामले में सुभाष व उसकी पत्नी किरण ने सोलन की विवि की फर्जी मान्यता की बात बताई थी। इस सेंटर में अश्वनी ने 16 लाख 69 हजार 300 रुपये का गबन किया गया। एसआईटी ने अश्वनी से पूछताछ के लिए उसका रिमांड लेने की योजना बनाई है।
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