CNE REPORTER, ALMORA


जन आंदोलनकारी व प्रख्यात सामाजिक—राजनैतिक चिंतक डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के ७३ वां जन्मदिन पर आयोजित विचार गोष्ठी में डॉ. बिष्ट को उत्तराखंड के एक महान जन नायक के रूप में याद किया गया। इस मौके पर जन गीतों की सुंदर प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। गोष्ठी में सरकार द्वारा चलाई जा रही दमनकारी नीतियों के साथ ही अल्मोड़ा के मल्ला महल का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा।
सवोय होटल के सभागार में विचार गोष्ठी में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और राजनीतिक पक्ष धरता विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किए। मुख्य वक्तव्य देते हुए उत्तराखंड लोक वाहिनी के केंद्रीय अध्यक्ष राजीव लोचन साह ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य एक ओर घोर निराशा पूर्ण है, वर्तमान सरकार जनता की आवाज दबाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है। जब किसान कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन कर रहे हैं तो उन्हें खालिस्तानी और देशद्रोही कहां जा रहा है। उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। जब विदेश से ग्रेटर थनवर्ग और रिहाना जैसे लोग किसानों को समर्थन कर रहे हैं तो इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश बताया जा रहा है। अर्णव गोस्वामी जैसे एंकरों के लिए पूरी छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान किसान आंदोलन देश के भविष्य के लिए रास्ता निकलेगा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्षत पीसी तेवारी ने कहा कि डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट होते तो मल्ला महल जैसे जनत विरोधी काम होना संभव नहीं था। इस अवसर पर एडवोकेट जगत रौतेला, नवीन बिष्ट, राजेंद्र रावत, कुणाल तिवारी, अजय मेहता, डॉ. जेसी दुर्गापाल आदि ने भी विचार व्यक्त किए। गोष्ठी का संचालन अजेमित्र सिंह बिष्ट ने किया व श्रीमती रेवती बिष्ट ने सभी का आभार और धन्यवाद जताया। गोष्ठी में जंग बहादुर थापा, शंभू राणा, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश धपोला, एमसी जोशी, शिवराज बनोला, भास्कर भौरियाल, आदित्य, सूरज टम्टा, चंद्रशेखर बनकोटी, चंद्रमणि भट्ट, दीपक मनराल, माधुरी मेहता, कमल जोशी, मोहम्मद हारिस, नवीन पाठक आदि उपस्थित रहे।