अल्मोड़ा न्यूज : आम जनता के शोषण—उत्पीड़न और फजीहत का माध्यम बन चुका है विकास प्राधिकरण, सर्वदलीय संघर्ष समिति ने दिया धरना

अल्मोड़ा। आज जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर सर्वदलीय संघर्ष समिति ने संयोजक नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी के नेतृत्व…

अल्मोड़ा। आज जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर सर्वदलीय संघर्ष समिति ने संयोजक नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी के नेतृत्व में गांधी पार्क में धरना देकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर सर्वदलीय संघर्ष समिति के संयोजक एवम् नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी ने कहा कि नवम्बर 2017 में प्रदेश सरकार ने तुगलकी फरमान से समूचे पर्वतीय क्षेत्र में जनविरोधी जिला विकास प्राधिकरण को लागू कर दिया था। जिसका सर्वदलीय संघर्ष समिति लगातार धरने, प्रदर्शन, जुलूस एवं ज्ञापन के माध्यम से विरोध कर रही है, परन्तु सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस जनविरोधी प्राधिकरण के कारण जनता आज बेहद परेशान है और जनता को अपने भवन निर्माण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नगरीय क्षेत्र की जनता के साथ आज ग्रामीण क्षेत्र की जनता भी प्राधिकरण से त्रस्त है। उन्होंने कहा कि नब्बे प्रतिशत तक बस चुके अल्मोड़ा शहर में प्राधिकरण लागू होना तर्कसंगत नहीं है तथा हर हाल में इस प्राधिकरण को समाप्त किया जाना चाहिए। धरने की अध्यक्षता आनन्दी वर्मा एवम् संचालन कांंग्रेस जिला सचिव दीपांशु पान्डेय ने किया। धरने में समिति के संयोजक प्रकाश चन्द्र जोशी, कांग्रेस जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक, चन्द्रमणि भट्ट, सभाषद हेम तिवारी, कांंग्रेस जिला सचिव दीपांशु पाण्डेय, अख्तर हुसैन, प्रताप सत्याल, चन्द्रकांत जोशी, हर्ष कनवाल, ललित मोहन पन्त, महेश आर्या, आशीष जोशी, दीपू लोहनी, संजय पान्डे, तारा चन्द्र साह, एमसी काण्डपाल, सुनीता पान्डे, नन्द किशोर डंगवाल, पी०एस०बोरा, राजू गिरी, महेश लाल वर्मा, भारतरत्न पान्डेय सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

पालिका अधिकतम एक माह में पास कर देती थी भवन निर्माण के नक्शे, प्राधिकरण में सालों लटक रहे : जोशी
पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी कहा कि प्राधिकरण लागू होने के बाद से लंबे समय से लोगों के भवन निर्माण के नक्शे लटके पड़े हैं, जिससे आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पूर्व पालिका के पास जब भवन निर्माण का कोई नक्शा आता तो अधिकतम एक माह में वह स्वीकृत हो जाता था। यदि कोई आपत्ति पालिका की ओर से लगाई जाती तो यह कार्रवाई एक माह के भीतर ही हो जाया करती थी। यदि एक माह तक पालिका की ओर से कोई आपत्ति नही उठायी गई तो भवन निर्माण का नक्शा स्वत: पास हो जाता था। आज प्राधिकरण लागू होने के बाद नगर की जनता का एक तरह से उत्पीड़न हो रहा है।

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