अल्मोड़ा न्यूज: सांस्कृतिक नगरी ने सीएम को भेजी मल्ला महल प्रकरण की शिकायत, दबा रोष खुलकर सामने आया, पुरातात्विक धरोहर पर मनमाने कार्य पर रोक नहीं लगी तो बुद्धिजीवी शहर पकड़ेगा आंदोलन की राह

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ायहां ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक मल्ला महल परिसर में संरक्षण के लिए चल रहे निर्माण कार्य को लेकर आक्रोश अब खुलकर सामने आ गया…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
यहां ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक मल्ला महल परिसर में संरक्षण के लिए चल रहे निर्माण कार्य को लेकर आक्रोश अब खुलकर सामने आ गया है। पिछले दिनों संयुक्त बैठक में लिये गए निर्णयों के अनुसार गुरुवार को सामाजिक व राजनैतिक संगठनों से जुड़े वरिष्ठजनों तथा चिंतनशील नागरिकों ने संयुक्त रूप से जिला प्रशासन के जरिये मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज पूरे मामले की शिकायत की है। तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कार्य पर रोक लगाने और अब तक के कार्य की गुणवत्ता व तकनीकी स्तर की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग प्रमुखता से उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि मामले पर अविलंब कार्रवाई नहीं हुई, तो सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा को मजबूर होकर आंदोलन की राह पकड़नी पड़ेगी। जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व सरकार का होगा।
ज्ञापन में कहा गया है कि ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर मल्ला महल में स्थित रामशिला मंदिर है। इसके अलावा यह मल्ला महल प्राचीन चंद व गोरखा कालीन दुर्ग, औपनिवेशिक कालीन प्रशासनिक केंद्र तथा आजाद भारत में अनवरत अद्यतन प्रशासनिक केंद्र रहा है। वर्तमान में मल्ला भवन स्थित कलेक्ट्रेट को पांडेखोला स्थित नवीन परिसर में स्थानांतरित किया जा रहा है। कहा गया है कि वर्तमान में मल्ला महल परिसर को ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक विरासत के रूप में संरक्षित करने का कार्य चल रहा है, मगर इस कार्य की जानकारी किसी भी व्यक्ति को नहीं दी गई। मुख्यमंत्री को अवगत कराया है कि इस संरक्षण कार्य के​ लिए बनाई गई समिति में किसी पुरातत्वविद, इतिहास विशेषज्ञ या जनप्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया। ज्ञापन के जरिये बताया गया है कि स्थानीय विधायक, सांसद, जिला पंचायत सदस्य व नगर पालिकाध्यक्ष या किसी राजनैतिक व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को तक इस कार्य की भनक नहीं लगने दी। यह सब अफसरशाही की मनमानी का बड़ा प्रमाण है।
मुख्यमंत्री को अवगत कराया है कि मल्ला महल में रामशिला मंदिर में की गई खुदाई के कार्य से नगर के लोग बेहद क्षुब्ध हैं, क्योंकि पुरातात्विक धरोहर होने के बावजूद बिना विशेषज्ञों की राय से यह कार्य किया गया है। आनन—फानन में अवैज्ञानिक तरीके से अनुभवहीन ठेकेदार से खुदाई व संरक्षण कार्य किया जा रहा है। इससे जनता में आक्रोश है। इस मामले पर पिछले दिनों हुई बैठक का उल्लेख करते हुए तीन प्रमुख मांगें उठाई हैं और जन आकांक्षाओं के अनुरूप परिसर में एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक संग्रहालय स्थापित करने और सुंदर आडिटोरियम का निर्माण करने की मांग भी की है।
ज्ञापन में सीएम को भेजी ये मांगें:—
1— मल्ला महल में चल रहे अवैज्ञानिक एवं अकुशल हाथों से हो रहे निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए और अब तक हुए कार्य की गुणवत्ता व तकनीकी की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
2— सरकारी तौर पर हो रहे संरक्षण एवं निर्माण कार्य के लिए तय प्रारूप एवं मानचित्र, उपलब्ध धनराशि व विशेषज्ञों के नाम सार्वजनिक किए जाए।
3— इस ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक परिसर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हस्तगत किया जाए और विभाग के विशेषज्ञों के निर्देशन में इस पुरातात्विक धरोहर का संरक्षण कार्य किया जाए।
ज्ञापन में पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, छावनी परिषद के उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा, एड. प्रफुल्ल पंत, कृष्ण सिंह बिष्ट, उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. वीडीएस नेगी, उलोवा के महासचिव पूरन चंद्र तिवारी, जन अधिकार मंच के त्रिलोचन जोशी, जनवादी महिला समिति की राज्य अध्यक्ष सुनीता पांडे समेत राजनैतिक व सामाजिक संगठनों से जुड़े कई दर्जन नागरिकों के हस्ताक्षर हैं।

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