बागेश्वर: प्रसिद्ध कोटभ्रामरी के चैताष्टमी मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

✍🏻 कुमाऊं—गढ़वाल की सांस्कृतिक एकता व अटूट आस्था का प्रतीक है मेला सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: कुमाऊं और गढ़वाल की सांस्कृतिक एकता तथा श्रद्धालुओं की अगाध…

प्रसिद्ध कोटभ्रामरी के चैताष्टमी मेले में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

✍🏻 कुमाऊं—गढ़वाल की सांस्कृतिक एकता व अटूट आस्था का प्रतीक है मेला

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: कुमाऊं और गढ़वाल की सांस्कृतिक एकता तथा श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा व अटूट आस्था का प्रतीक प्रसिद्ध कोट भ्रामरी चैत्राष्टमी मेला संपन्न हो गया है। मेले में कुमाऊं व गढ़वाल के दूरदराज इलाकों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मेलार्थियों ने मेले में जमकर खरीददारी की। साथ ही पूजा अर्चना कर मां से मन्नतें मांगी।

चैत्र माह की अष्टमी को प्रतिवर्ष डंगोली स्थित मां भ्रामरी के प्रसिद्ध कोट मंदिर में एक दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है। मेले में कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के विभिन्न क्षेत्रों से मेलार्थियों की भारी भीड़ पहुंची। प्रातः होते ही मंदिर में श्रद्धालुओं का पहुंचना प्रारंभ हो गया तथा पूजा अर्चना प्रारंभ हो गई। मेले के चलते डंगोली तिराहे से मंदिर तक मेलास्थल को भव्य रूप से सजाया गया था। मेले में व्यवसाय के लिए भी दूरदराज से आए व्यापारियों ने जमकर व्यवसाय किया। मेलार्थियों ने भी जमकर खरीददारी की। मेले में शांति व्यवस्थाओं का समय-समय पर एसडीएम व मेलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, तहसीलदार निशा रानी, थानाध्यक्ष प्रताप सिंह नगरकोटी ने जायजा लिया।
हरेला व नारियल चढ़ाया

गरुड़। नवरात्र व्रतधारियों ने मंदिर में पूजा अर्चना कर देवी भगवती को हरेला और नारियल चढ़ाया। साथ ही मां से हरियाली की कामना की। मंदिर में मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को लाइन लगानी पड़ी।
यजमानों ने कराया पाठ

गरुड़। अष्टमी के अवसर पर विभिन्न गांवों से आए यजमानों ने अपने कुल पुरोहित से पाठ कराया। विधिवत पूजा-अर्चना कराई। नव संवत्सर सुना और मंदिर की परिक्रमा की। पुरोहितों ने यजमानों को कष्टों के निवारण के उपाय भी बताएं।
मेले में जमकर हुई खरीदारी

गरुड़। कोट मेले में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की। बच्चों ने मेले में सस्ते खिलौनों की खरीददारी की तो महिलाओं ने सौंदर्य प्रसाधन व घर के लिए सजावटी सामान की खरीददारी की। इसके अलावा मेले में जलेबी मिठाई व अन्य खाद्य पदार्थों की भी जमकर बिक्री हुई। पान भी लोगों ने खूब खाए।मेले में सर्वाधिक मांग उत्तम किस्म की कढ़ाइयों की रही। इसके साथ ही निगाल के उत्पादों की भी मांग रही।

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