सीएनई रिपोर्टर
उत्तराखंड के हिल स्टेशन मसूरी घूमने आये पर्यटक फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट के चक्कर में बुरे फंस गये। पुलिस ने अशारोड़ी चेक पोस्ट पर इनकी रिपोर्ट पूरी तरह फर्जी पाई और इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इनमें से 03 गाजियाबाद व 01 बिहार का पर्यटक शामिल है।
ज्ञातव्य हो कि बाहरी प्रदेशों से उत्तराखंड आने वालों के लिए पर्यटकों को 72 घंटे के भीतर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लाने की बाध्यता है। अमूमन लोग जांच आदि के चक्कर में नही पड़ता चाहते इसलिए शार्टकट चाहते हैं। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि दिल्ली, गाजियाबाद जैसे शहरों में इन दिनों बड़े आराम से फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट मिल रही है। सूत्र बता रहे हैं कि फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों में कई तो बड़े अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारी तक हैं।
पर्यटक अल्मोड़ा, नैनीताल, मसूरी, हरिद्वार, ऋषिकेश आने से पूर्व इस तरह की फर्जी रिपोर्ट साथ लाने से भी नही चूक रहे हैं। यह घटना बुधवार शाम की है। आशारोड़ी चेक पोस्ट पर पुलिस रोज की तरह आरटीपीसीआर और अन्य दस्तावेज चेक कर रही थी। इस दौरान एक कार सवार के पास मिली रिपोर्ट सामान्य नहीं लगी। थानाध्यक्ष धर्मेंद्र रौतेला ने बताया कि बारीकी से जांच किया तो पता चला कि व्यक्ति के पास कोरोना जांच की 10 फर्जी रिपोर्ट हैं। उसके साथ परिवार के अन्य लोग भी थे।
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थानाध्यक्ष ने बताया कि इसके पीछे आ रही एक और कार में तीन लोग सवार थे। इनकी रिपोर्ट भी फर्जी मिली। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनमें तीन पर्यटक गाज़ियाबाद निवासी हैं और एक बिहार का रहने वाला है। ये सभी मसूरी घूमने आ रहे थे। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
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पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार पर्यटकों में तरुण मित्तल निवासी 167 सेक्टर 06 चिरंजीव विहार गाजियाबाद, अमित गुप्ता निवासी केएम कवि नगर गाजियाबाद, अमित कौशिक निवासी 126 एफ ब्लाक नेहरूनगर गाजियाबाद औऱ सुजीत कामत निवासी झिडकी जिला मधुबनी बिहार शामिल हैं।
अलबत्ता इन पर्यटकों पर अग्रिम कार्रवाई की जानी तय है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि फर्जीवाड़ा कर इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने वालों पर भी कोई कार्रवाई होगी यह नही, यह अभी तय नही हुआ है। इधर नाम नही छापने की शर्त में एक पर्यटक ने बताया कि 72 घंटे पूर्व की रिपोर्ट लाने की बाध्यता से पूर्व अधिकाधिक केंद्रों में आरटीपीसीआर की सुविधा भी उपलब्ध करानी चाहिए।
सरकार को यह प्रबन्ध करने चाहिए कि रिपोर्ट नि:शुल्क प्रदान की जाये और तत्काल भी मिले। रिपोर्ट मिलने में होने वाली देरी व कई दिक्कतों के चलते बहुत से लोग नकली रिपोर्ट लाने के लिए विवश हो जाते हैं।
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