⏩ फिल्म के अभिनेताओं संग पाकर हुए गदगद, खूब खींची सेल्फी और लिए फोटो
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
Uttarakhand film Maati Pehchaan
कुमाऊंनी लोक भाषा व संस्कृति को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए नित नए प्रयास करने की आवश्यकता है। इस दिशा में कुमाऊंनी भाषा में बनने वाली फिल्में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। उत्तराखंडी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए बड़े पर्दे की कुमाऊंनी फीचर फिल्म ‘माटी पहचान’ (Maati Pehchaan) भी निचित रूप से एक सराहनीय व सार्थक प्रयास है।
फिल्म को लेकर युवा पीढ़ी में भी एक क्रेज दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में स्कूल व कॉलेज छात्र-छात्राएं भी इस फिल्म को काफी पसंद कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यहां स्थानीय आरसीएम मॉल में गत 23 सितम्बर से चल रही फीचर फिल्म ‘माटी पहचान’ दर्शकों का मन मोह रही है। आज प्रातः 9.45 बजे से शारदा पब्लिक स्कूल अल्मोड़ा के विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों के साथ सिनेमाहाल के बड़े पर्दे में कुमाऊंनी भाषा की फिल्म का आनंद लिया।
यही नहीं, उन्होंने फिल्म के कलाकार नरेश बिष्ट, शेखर कुमार और निर्देशक/कलाकार अजय बेरी को माल में अपने बीच पाकर करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया। उत्साहित बच्चों ने कुमाऊंनी फिल्म के कलाकारों के साथ खूब सेल्फियां लीं और फोटो खिंचाए। इस अवसर पर फिल्म के लेखक, रंगकर्मी मन मोहन चौधरी भी उपस्थित रहे। उन्होंने इस सहयोग के लिए विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती विनीता शेखर लखचौरा एवं प्रबंधक अधिवक्ता शेखर लखचौरा का ह्रदय से आभार व्यक्त किया।
फिल्म के बारे में संक्षेप में –
”माटी की पहचान” फिल्म में पहाड़ की विभिन्न ज्वलंत समस्याओं को को एक प्रेम कहानी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। उत्तराखंड के 15 स्थानों पर पी०बी०आर० में प्रदर्शित किया गया है। फिल्म के प्रड्यूसर फराज शेरे ने अपने Fortune Talkies मोशन पिक्चर्स नई दिल्ली के बैनर तले इसे प्रदर्शित किया है। फिल्म के निर्देशक, लेखक, संगीतकार सहित कई कलाकार सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से जुड़े हैं। रंगकर्मी मनमोहन चौधरी ने स्थानीय दर्शकों का आभार प्रकट किया तथा अधिक से अधिक दर्शकों से फिल्म देखने की अपील की है।