ALMORA BREAKING; चरस तस्कर की जमानत अर्जी खारिज, धोखाधड़ी मामले के आरोपी को भी नहीं मिली जमानत

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाचरस की अवैध तस्करी के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान की अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर…

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सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
चरस की अवैध तस्करी के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान की अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। वहीं धोखाधड़ी के मामले में लिप्त एक आरोपी की भी जमानत अर्जी खारिज हो गई है।
मामले के मुताबिक 20 फरवरी 2021 को पुलिस ने मोरनौला तिराहे के पास चेकिंग के दौरान चंद्र प्रकाश पुत्र गोपाल राम निवासी ग्राम महतोली, पोस्ट नरतोला, तहसील धारी, जिला नैनीताल से 710 ग्राम चरस बरामद की थी। पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कर पूरी कार्रवाई करते हुए आरोपी चंद्र प्रकाश को जेल भेज दिया। आज शनिवार को आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में जमानत के लिए अर्जी लगाई। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा ने उसकी जमानत का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उसके द्वारा जमानत का दुरुपयोग करने या फरार हो जाने का अंदेशा है। इस पर अदालत ने पत्रावली का परिशीलन करते हुए जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
धोखाधड़ी के आरोपी को नहीं मिली जमानत: इधर धोखाधड़ी के मामले में सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान ने आरोपी तौफिक पुत्र लियाकत, निवासी ग्राम कठौल, तहसील व जिला पहाड़ी, भरतपुर राजस्थान की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी। इस आरोपी के खिलाफ अल्मोड़ा कोतवाली में धारा 419, 420 व 467 के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी। मामले के मुताबिक आरोपी ने अपने साथी के साथ मिलकर किसी अन्य व्यक्ति के नाम से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उसे असली रूप मेंं उपयोग में लाया गया और इसके आधार पर धोखाधड़ी की संगीन घटना को अंजाम दिया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और उसके पास से मोबाइल, नई सीलबंद सिम व धोखाधड़ी से छली गई 19,200 रुपये की राशि बरामद की और आरोपी को जेल भेजा। आज आरोपी की तरफ से अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। जिसका जिला शासकीय अधिवक्ता पूरन सिंह कैड़ा ने विरोध करते हुए अदालत को बताया कि यदि जमानत मिली, तो आरोपी उसका दुरुपयोग कर सकता है और न्यायालय व पुलिस के समक्ष उपस्थित होने से बच सकता है। इतना ही नहीं उसके द्वारा ऐसे की अपराधों में लिप्त होकर साक्ष्यों को डराधमकाकर तोड़ने का अंदेशा है। इस पर अदालत ने सुनवाई करते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

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