नई दिल्ली। सरकार ने अक्टूबर, 2021 से शुरू होने वाले अगले विपणन सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी (एफआरपी) मूल्य पांच रुपये बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2021-22 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य बढ़ाने का फैसला किया गया। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि इस फैसले का फायदा पांच करोड़ से ज्यादा गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को मिलेगा। साथ ही इस फैसले का सकारात्मक असर चीनी मिलों और उससे जुड़े हुई कार्यों में लगे पांच लाख श्रमिकों पर भी देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा, “ केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद गन्ने के एफआरपी में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 के दौरान देश में गन्ने का एफआरपी 210 रुपए प्रति क्विंटल होता था जो अब बढ़कर 290 रुपे प्रति क्विंटल हो गया है। सात वर्ष में गन्ने के एफआरपी में 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ”
गोयल ने कहा कि चीनी वर्ष 2019-20 में गन्ना किसानों को 76000 करोड़ रुपये भुगतान करना था और उसमें अधिकतर भुगतान हो गया है, केवल 142 करोड़ रुपए का भुगतान ही बचा है।
उन्होंने कहा कि चालू चीनी वर्ष 2020-21 के दौरान गन्ना किसानों को 91000 करोड़ रुपए का भुगतान होना था जिसमें से 86000 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ 290 रुपए प्रति क्विंटल का भाव उन गन्ना किसानों को मिलेगा जिनके गन्ने से चीनी की रिकवरी की दर 10 प्रतिशत होगी, जिन गन्ना किसानों के गन्ने से चीनी की रिकवरी 9.5 प्रतिशत या इससे कम रहेगी उन्हें 275 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। ”
उल्लेखनीय है कि हर साल गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार एफआरपी की घोषणा करती है। मिलों को यह न्यूनतम मूल्य गन्ना उत्पादकों को देना होता है।