भाजपा ने शिव सिंह व रणजीत सिंह को किया सम्मानित

👉 अल्मोड़ा-बागेश्वर में भाजपा का आपातकाल प्रबुद्ध जन सम्मेलन सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा/बागेश्वरः भाजपा ने आज अल्मोड़ा व बागेश्वर में आपातकाल प्रबुद्धजन सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया…

भाजपा ने शिव सिंह व रणजीत सिंह को किया सम्मानित

👉 अल्मोड़ा-बागेश्वर में भाजपा का आपातकाल प्रबुद्ध जन सम्मेलन

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा/बागेश्वरः भाजपा ने आज अल्मोड़ा व बागेश्वर में आपातकाल प्रबुद्धजन सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया और 25 जून 1975 के आपातकाल के दौरान जेल में रहे पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।

अल्मोड़ा में भाजपा कार्यालय में पार्टी जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में 25 जून 1975 को आपातकाल के दौरान जेल में रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता शिव सिंह राणा व रणजीत सिंह भंडारी को शाल ओढ़ाकर एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। मालूम हो कि वरिष्ठ नेता एवं शिक्षाविद् शिव सिंह राणा व रणजीत सिंह भंडारी पूर्व में भाजपा में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। मुख्यवक्ता प्रदेश उपाध्यक्ष बलवन्त सिंह भौर्याल ने कहा कि आपातकाल में पार्टी के कई नेताओं ने तत्कालीन इन्दिरा सरकार के दौरान जेल की यातनाएं झेली। उस दौरान प्रेस पर भी प्रतिबंध लगाकर तानाशाही का प्रमाण दिया गया।

कार्यक्रम का संचालन संयोजक कैलाश गुरुरानी ने की। कार्यक्रम में गोविन्द पिलख्वाल, रवि रौतेला, ललित लटवाल, आनंद डंगवाल, मीना भैसोड़ा, कैलाश गुरुरानी, मीडिया प्रभारी राजेंद्र बिष्ट, जगत तिवारी, अमित शाह मोनू, राजा खान, लीला बोरा, मनोज जोशी आदि कई पदाधिकारी व अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
बागेश्वर में भी हुआ सम्मेलन

बागेश्वरः भाजपा कार्यालय बागेश्वर में आपातकाल प्रबुद्ध जन सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व विधायक अल्मोड़ा कैलाश शर्मा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में 25 जून 1975 का काला दिन कांग्रेस की निरंकुशता के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा। कांग्रेस की निरंकुशता के कारण देश के समर्पित राष्ट्र भक्तों को जेल जाना पड़ा। भाजपा जिला अध्यक्ष इंद्र सिंह फर्सवाण ने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल के विरोध में उठी आवाज को दबाने का काम किया। इसीलिए 25 जून को काला दिवस के रुप में मनाया जाता है।

विधायक सुरेश गड़िया ने आपातकाल को देश का सबसे बुरा दिन बताया। उन्होंने कहा देश उस बुरे दौर को कभी नहीं भूल पाएगा। इस मौके पर कुंदन परिहार, विक्रम साही, कुंदन रेखोला, प्रकाश साह, संजय परिहार, गोपाल राम, सुरेश कांडपाल,दीपक घस्याल, मोहीउद्दीन तिवाडी, आनंद धपोला, उमा बिष्ट, आशा फुलारा, जगदीश सुरकाली, पूरन गड़िया आदि मौजूद थे।

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