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Big Breaking : भगत सिंह कोश्यारी का राज्यपाल पद से इस्तीफा

13 राज्यों में गवर्नर बदले, 9 में इसी साल चुनाव

नई दिल्ली/मुंबई| राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। अब झारखंड के गवर्नर रमेश बैस महाराष्ट्र के नए राज्यपाल बनाए गए हैं। इनके अलावा 12 राज्यों में राज्यपाल और उप-राज्यपाल बदले गए हैं। भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले साल नवंबर में अमित शाह को चिट्ठी लिखकर अपने पद से इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दो राज्यपालों का इस्तीफा मंजूर किया है। जिनमें भगत सिंह कोश्यारी के अलावा लद्दाख के उप-राज्यपाल राधाकृष्ण माथुर का नाम भी शामिल है।

इन राज्यों में भी राज्यपाल और उप-राज्यपाल बदले गए…

1- लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक अब अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल
2- यूपी विधानसभा परिषद के सदस्य लक्ष्मण प्रसाद आचार्य अब सिक्किम के राज्यपाल
3- तमिलनाडु BJP के पूर्व अध्यक्ष सीपी राधाकृष्णन अब झारखंड के राज्यपाल

4- BJP वर्किंग कमेटी के सदस्य गुलाब चंद कटारिया अब असम के राज्यपाल
5- BJP नेता शिव प्रताप शुक्ला अब हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल
6- अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल रिटायर्ड ब्रिगेडियर डॉ. बीडी मिश्रा अब लद्दाख के उप-राज्यपाल

7- सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस एस अब्दुल नजीर अब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल
8- मणिपुर के राज्यपाल एलए गणेशन अब नगालैंड के राज्यपाल
9- बिहार के राज्यपाल फागू चौहान अब मेघालय के राज्यपाल

10- हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर अब बिहार के राज्यपाल
11- आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन अब छत्तीसगढ़ के राज्यपाल
12- छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके अब मणिपुर के राज्यपाल

    9 चुनावी राज्यों के गर्वनर बदले गए

    इसी साल देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इनमें पूर्वोत्तर के चार राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वहीं, हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नवंबर में चुनाव होने हैं। दक्षिण के कर्नाटक और तेलंगाना में भी इसी साल चुनाव हैं। जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश (UT) बनाए गए लद्दाख में उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति की गई है।

    शिवाजी पर बयान के बाद विवादों में थे कोश्यारी, शाह से पूछा था- पद पर रहें या नहीं

    छत्रपति शिवाजी महाराज पर दिए गए बयान को लेकर विवादों में रहने वाले महाराष्ट्र के पूर्व गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने गृहमंत्री अमित शाह को 6 दिसंबर को चिट्ठी लिखकर मार्गदर्शन मांगा था। उन्होंने गृहमंत्री से पूछा था- उन्हें इस पद पर बने रहना है या नहीं।

    कोश्यारी ने 19 नवंबर को औरंगाबाद में एक यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शिवाजी को पुराने दिनों का आइकॉन कहा था। कोश्यारी के साथ इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नितिन गडकरी और NCP प्रमुख शरद पवार भी मौजूद थे।

    उत्तराखंड के कुमाऊं में जन्मे कोश्यारी 2004 से 2007 तक राज्य के भाजपा अध्यक्ष थे। 2000 में उन्हें नए राज्य उत्तरांचल में मंत्री बनाया गया। 2001 में वे मुख्यमंत्री बने। 2002 में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। 2007 में विधानसभा चुनाव जीतने पर भी भाजपा ने कोश्यारी की जगह भुवन चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया था। 2014 में कोश्यारी नैनीताल सीट से जीते, 2019 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद उन्हें 2019 में महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया था।

    7 बार के सांसद बैस को महाराष्ट्र की कमान

    रमेश बैस छत्तीसगढ़ भाजपा के वेटेरन लीडर हैं। वे लगातार सात बार लोकसभा सांसद रहे हैं। इससे पहले वे त्रिपुरा और झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं। अब उन्हें महाराष्ट्र की कमान सौंपी गई है। बैस ने हेमंत सोरेन सरकार के झारखंड वित्त विधेयक 2022 को लौटा दिया था। वहीं, हेमंत सोरेने के इलेक्शन से जुड़े मामले में उनके बयान पर काफी विवाद हुआ था।

    आंध्र के गवर्नर पूर्व जस्टिस अब्दुल नजीर, राम मंदिर पर फैसले में शामिल थे

    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का गवर्नर बनाया गया है। जस्टिस नजीर 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं। 40 दिन बाद ही उन्हें गवर्नर बना दिया गया है। जस्टिस नजीर राम मंदिर पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे। उन्होंने मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था।

    रिटायरमेंट के वक्त जस्टिस नजीर ने कहा था- अगर 9 नवंबर 2019 को आए फैसले में उन्होंने अपनी राय अलग रखी होती तो अपने समुदाय के हीरो बन गए होते। लेकिन जस्टिस नजीर ने समुदाय नहीं, देश के बारे में सोचा था। देश के लिए सब न्योछावर है।

    इसके अलाव जस्टिस अब्दुल नजीर ट्रिपल तलाक और डिमोनेटाइजेशन जैसे मामलों पर फैसला देने वाली बेंच में भी शामिल रहे हैं।

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