सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हजारों निगाहें
हल्द्वानी, उत्तराखंड। नैनीताल जिले के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा इलाके में रेलवे विभाग की 30 हेक्टेयर भूमि पर हुए अतिक्रमण के मामले में आज, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट एक महत्वपूर्ण फैसला सुना सकता है। यह फैसला करीब 50 हजार लोगों को प्रभावित कर सकता है, जो 3,660 पक्के मकानों में निवास करते हैं। इसलिए, किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं और पूरे बनभूलपुरा क्षेत्र को एक अभेद सुरक्षा छावनी में बदल दिया गया है।
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कड़े सुरक्षा इंतज़ाम और पुलिस की पैनी नजर
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के संभावित निर्णय को देखते हुए, क्षेत्र में कानून और व्यवस्था (Law and Order) बनाए रखने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। सबसे पहले, पूरे बनभूलपुरा क्षेत्र में तीन एसपी, चार सीओ, आठ से अधिक इंस्पेक्टर, 400 से अधिक पुलिस बल और दो कंपनी पीएसी (PAC) समेत भारी फोर्स तैनात की गई है। इसके अलावा, फील्ड असेसमेंट के आधार पर, कुल 23 लोगों को निवारक हिरासत (Preventive Detention) में गिरफ्तार किया गया है, जो माहौल खराब करने की फिराक में थे।
एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया, “पुलिस ने फुलप्रूफ सुरक्षा की हुई है। यह वह लोग है जो यहां क्षेत्र का माहौल खराब करने के लिए संसाधन और लोगों को इकट्ठा कर रहे थे। निश्चित रूप से, यदि दंगा भड़काने की साजिश हुई, तो सीधे जेल होगी।”
इसके अतिरिक्त, पुलिस सोशल मीडिया पर भी लगातार पैनी नज़र बनाए हुए है। किसी भी प्रकार की भड़काऊ टिप्पणी, कटाक्ष या प्रतिक्रिया देने पर कठोर विधिक कार्यवाही की जाएगी। इतना ही नहीं, एहतियात के तौर पर पैरा मिलिट्री फोर्सेज (ITBP और CRPF) को भी स्टैंड बाय पर रखा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर कम समय में एक्शन लिया जा सके।
बनभूलपुरा फैसले की घड़ी
सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए 7 ड्रोन कैमरों की मदद से बनभूलपुरा क्षेत्र की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। साथ ही, यातायात व्यवस्था (Traffic Management) को सुचारू बनाए रखने के लिए रूट डायवर्ट किए गए हैं। गौरतलब है कि, सोमवार को आरपीएफ (RPF) और जिला पुलिस ने क्षेत्र में फ्लैग मार्च भी किया था और लोगों से भ्रामक अफवाहों पर ध्यान न देने तथा कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील की गई है।

विवाद का इतिहास: 2023 से चल रहा है सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा
यह मामला वर्ष 2023 से शुरू हुआ, जब नैनीताल हाई कोर्ट ने एक पीआईएल (PIL) पर सुनवाई करते हुए इस रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। हालांकि, स्थानीय लोगों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के कारण मामला टल गया था। तब से लेकर अब तक, मामले की सुनवाई देश की शीर्ष अदालत में चल रही थी। यहाँ तक कि, पिछले साल 8 फरवरी को भी बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा और उपद्रव हुआ था, जिसमें जान-माल का नुकसान हुआ था और थाना तक जला दिया गया था।
इन सब के बावजूद, प्रशासन आज के फैसले के बाद शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह से दृढ़ संकल्पित है।
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