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अल्मोड़ा न्यूज : हत्या के मामले में 10 आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
हत्या के एक मामले के 10 आरोपियों की जमानत अर्जी अपर सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार पांडे की अदालत ने खारिज कर दी। मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा द्वारा मामले में सबल पैरवी की। ​इसके बाद अदालत ने जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
मामला अल्मोड़ा जनपद के भैसियाछाना ब्लाक के ग्राम सुपई तिवारी निवासी राजेंद्र सिंह ​चम्याल की हत्या का है। मामला 20 जुलाई 2020 का है। मृतक राजेंद्र सिंह की पत्नी कमला चम्याल द्वारा पटवारी क्षेत्र पल्यू को दी गई तहरीर के मुताबिक 20 जुलाई, 2020 को बीडीसी सदस्य गिरधर सिंह सुप्याल उर्फ गुड्डू ने अपने कई साथियों के साथ योजना बनाकर काचूला पुल पर राजेंद्र सिंह को घेरा और लाठी—डंडों से पीट—पीट कर मरणासन्न कर दिया। बाद में गंभीर घायल राजेंद्र सिंह को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। यह मामला बाद में राजस्व पुलिस से विवेचना के लिए रेगुलर पुलिस को स्थानांतरित हुआ। पुलिस ने विवेचना करने के बाद राजेंद्र सिंह हत्या के मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
बुधवार को धारा 302, 148, 34 ता.हि. के इन 10 आरोपियों गिरधर सिंह सुम्याल उर्फ गुडडू उर्फ अंग्रेज पुत्र मोहन सिंह, करन सिंह डोलिया पुत्र शिवराज सिंह डोलिया, राजेन्द्र सिंह डोलिया पुत्र प्रेम सिंह डोलिया, विक्रम सिंह डोलिया पुत्र मोहन सिंह डोलिया, हिमांशु जड़ौत पुत्र दीवान सिंह जड़ौत, गोविन्द सिंह पुत्र प्रेम सिंह, हरेन्द्र सिंह सुप्याल पुत्र गोपाल सिंह, मनोज डोलिया पुत्र कुंवर सिंह, गौरव सुप्याल पुत्र राजेन्द्र सिंह, निवासीगण सुपई सुपियाल, पोस्ट बाड़ेछीना, तहसील व जिला अल्मोड़ा तथा विनोद तिवाड़ी पुत्र कैलाश चन्द्र निवासी सुपई तिवाड़ी, तिवाड़ीखोला, पोस्ट बाहेछीना, तहसील व जिला अल्मोड़ा की ओर से उनके अधिवक्ता ने जमानत प्रार्थना पत्र अपर सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार पाण्डे की अदालत में प्रस्तुत किया।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा ने आरोपियों की जमानत का घोर विरोध किया। उन्होंने न्यायालय को यह बताया कि पोस्टमार्टम मृतक की मृत्यु का कारण मृत्यु से पूर्व आई गम्भीर चोटों को बताया गया है। आरोपियों घटना से पूर्व 18 जुलाई 2020 को भी राजेंद्र सिंह के साथ मारपीट की गयी थी, परन्तु उस दिन राजेंद्रसिंह ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई थी। जिला शासकीय अधिवक्ता श्री कैड़ा ने न्यायालय को बताया कि आरोपियों ने जघन्य अपराध कारित किया है और ऐसे में आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वे मिलकर गवाहों को डरा—धमका कर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और अभियोजन पक्ष के गवाहों को तोड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी जमानत को कोई औचित्य नहीं है। पत्रावली में मौजूद साक्ष्य का परिशीलन करते हुए न्यायालय ने आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

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