सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है…..किसी शार ने सच ही कहा है कि यदि दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो राह से हर अड़चन खत्म हो जाया करती है। अल्मोड़ा जनपद के सोमेश्वर क्षेत्र के एक काश्तकार गोविंद सिंह मेहरा ने एक ऐसा कारनामा किया है कि हर कोई उनकी दाद दे रहा है। इन्होंने जैविक खेती के माध्यम से एक 10 फीट तक ऊंचे मटर के पौध तैयार किए हैं। जिनमें जमकर फली भी आ रही है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के तमाम पहाड़ी जनपदों में जंगली जानवरों व संसाधनों के अभाव में लोग खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं। अधिकांश युवाओं का दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में पलायन हो चुका है। घर की पहरेदारी करने को बुजुर्ग बचे हैं, जिनके बस में अब किसानी करना भी नहीं रहा है। इन विपरीत हालातों में भी कुछ युवा ऐसे हैं, जो बड़ी शान से न केवल खेती कर रहे हैं, बल्कि इस दिशा में कई अविष्कार और नव प्रयोग भी कर सबको हैरत में डाल रहे हैं।
ऐसे ही एक युवा में शुमार हैं सोमेश्वर के डौनी ग्राम पंचायत निवासी भूतपूर्व सैनिक गोविंद सिंह मेहरा। इन्होंने जैविक खेती को अपनाया है। गोविंद ने अपने खेत में मटर की तमाम उन्नत प्रजातियां विकसित की हैं। इनके पौध सात से दस फीट तक की साइज ले चुके हैं। जानकारों का दावा है कि कुछ ही समय में मटर के यह पौधे 15 फीट तक की लंबाई ले लेंगे।
खास बात यह है कि इन मटर के पौधों में जमकर फलियां उग आई हैं। जिसकी बदौलत पूरे एक माह से निरंतर उन्हें मटर की पैदावार मिल रही है। गोविंद सिंह का कहना है कि उनके गांव में जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जाता है। मटर से पूर्व मूली, मिर्ची और गडेरी की भी उन्नत प्रजाति का विकास किया जा चुका है। गांव में सब्जियों की बंपर पैदावार हो रही है।
इधर स्थानीय नागरिक मटर के पौध की यह ग्रोथ देख बहुत उत्साहित हैं। लोगों का कहना है कि यदि मटर के पौध ने और अधिक लंबाई निकट भविष्य में ली तो संभव है कि विश्व रिकार्ड में सोमेश्वर के मटर के पौध का नाम भी दर्ज हो जायेगा। ज्ञात रहे कि इससे पूर्व अल्मोड़ा जनपद अंतर्गत ही बिल्लेख गांव में किसान गोपाल दत्त उप्रेती ने 2.16 मीटर धनिया का पौध उगाया था। जिस कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ था। देखना यह है कि निकट भविष्य में यह मटर का पौधा क्या गुल खिलाता है।