ALMORA NEWS: अब बीमार स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ खोला कर्नाटक ने मोर्चा, सीएम को ज्ञापन, एक माह का अल्टीमेटम

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाएनआरएचएम उत्तराखंड के पूर्व उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने सड़कों की दुर्दशा के बाद अब अल्मोडा की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोल…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
एनआरएचएम उत्तराखंड के पूर्व उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने सड़कों की दुर्दशा के बाद अब अल्मोडा की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फिलहाल उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज स्वास्थ्य सेवा का हाल बयां किया है और स्वास्थ्य व्यवस्था को स्वस्थ बनाने का अनुरोध किया है। साथ ही एक माह का समय देते हुए प्रकरण की अनसुनी होने पर जनता को साथ लेकर आंदोलन का बिगुल फूंकने की चेतावनी दी है।
सीएम को भेजे ज्ञापन में श्री कर्नाटक ने कहा है कि अल्मोडा की स्वास्थ्य व्यवस्था अत्यंत लचर एवं अव्यवस्थित है। चिकित्सालयों में पर्याप्त उपकरण नहीं हैं और तमाम पद खाली हैं। जिससे पर्वतीय जनपद अल्मोड़ा के कई लोग समय-समय पर जान गवां रहे हैं। कई लोग जान गवां चुके हैं, फिर भी विभाग एवं सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग को लेेकर पूर्व में कई बार आंदोलन हो चुका है, किंतु स्थिति जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा है कि सुविधा के अभाव में मरीजों को उपचार के लिये मैदानी क्षेत्रों में स्थित उच्च संस्थानों अथवा निजी चिकित्सालयों में जाना पड़ रहा है।
उन्होंने ताजा उदाहरण देते हुए कहा है कि स्वास्थ्य संसाधनों की कमी के कारण अल्मोडा महिला चिकित्सालय में खगमराकोट निवासी राजेन्द्र सतवाल की पत्नी माधवी की सामान्य प्रसव होने के कुछ समय बाद मौत हो गई। जिसे रेफर होने के बाद हल्द्वानी ले जाया गया। एंबुलेंस में पूरे संसाधन नहीं थे। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों और पर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण पर्वतीय जिलों के चिकित्सालय केवल रेफर सैन्टर बन चुके हैं।
ज्ञापन में श्री कर्नाटक ने तत्काल अस्पतालों में चिकित्सकों की नियुक्ति करने, स्थानान्तरित चिकित्सकों को वापस भेजने, चिकित्सालयों में पर्याप्त उपकरण व अन्य संसाधन उपलब्ध कराने, एंबुलेंसों में उपकरण व वैंटीलेटर की व्यवस्था करने, गम्भीर स्थिति में रेफर होने वालेे मरीजों के साथ एंबुलेंस में एक विषेशज्ञ चिकित्सक भेजने की मांग की है। इसके लिए एक माह का वक्त दिया है। चेतावनी दी है कि यदि इस अवधि में मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो नागरिकों के साथ लामबन्द होकर आन्दोलन को बाध्य होना पड़ेगा।


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