HomeUttarakhandAlmoraअल्मोड़ा: गुणवत्ता संवर्धन के​ लिए तकनीकी ज्ञान का उपयोग जरुरी—बलौदी

अल्मोड़ा: गुणवत्ता संवर्धन के​ लिए तकनीकी ज्ञान का उपयोग जरुरी—बलौदी

✍️ डायट में 05 दिनी खेल खिलौना अधिगम सामग्री निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यशाला

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: यहां जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अल्मोड़ा में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) कार्यक्रम के तहत एससीईआरटी के तत्वाधान में 05 दिनी खेल खिलौना अधिगम सामग्री निर्माण एवं राजकीय प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की आधारभूत प्रशिक्षण कार्यशाला चल रही है। जिसमें तीसरे रोज कुमाऊं मंडल के अपर शिक्षा निदेशक अम्बादत्त बलोदी ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि वर्तमान समय में तकनीकी ज्ञान का उपयोग गुणवत्ता संवर्धन के लिए आवश्यक है। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभागी शिक्षकों के कार्यों एवं उनके द्वारा प्रस्तुत बाल उपयोगी सामग्री की सराहना की।

इस मौके पर डायट के प्राचार्य गोपाल सिंह गैड़ा ने संस्थान में संचालित खेल खिलौना अधिगम सामग्री के महत्व एवं उपयोगिता के बारे में जानकारी प्रदान की। खेल खिलौने के माध्यम से नन्हें—मुन्ने बच्चों अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी रुप से क्रियान्वित किया जा सकता है। खेल खिलौना अधिगम सामग्री निर्माण कार्यशाला के राज्य स्तर से डॉ. गंगा घुगतयाल ने आंगनबाड़ी में बाल वाटिका से संबंधित जादुई पिटारा एवं कार्यशाला से संबंधित विस्तृत कार्य योजना के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यशाला के समन्वयक एवं डाइट में ईसीसीई प्रकोष्ठ के प्रभारी रमेश सिंह रावत ने तीन से आठ आयु वर्ग के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु खेल खिलौने कविताओं, कहानियों एवं पहेलियां आदि अधिगम सामग्री निर्माण के बारे में बताया।

डाइट के नियोजन विभाग के प्रवक्ता डॉ. हेम जोशी ने जिले में बुनियादी आधारभूत शिक्षा के अंतर्गत निपुण भारत मिशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। राजकीय प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को प्रशासनिक कार्यालय एवं वित्तीय कार्यों के निष्पादन के लिए कार्यशाला की आवश्यकता एवं महत्व के बारे में डॉ. बीसी पांडे ने जानकारी दी। कार्यशाला में डॉ. दीपक मेहता, कविता मेहरा, दिनेश चंद्र तिवारी ने पहेलियां, कविताओं, लोकोक्तियां इत्यादि के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाने संबंधी जानकारी दी गई। इस अवसर पर महेंद्र सिंह भंडारी, हरिबंस बिष्ट, डा. हरिश्चंद्र जोशी, भुवनेश्वरी चंद्रानी, डॉ. अजंता बिष्ट, डा. हेमलता धामी, कृपाल सिंह शीला, डॉ. पवनेश ठकुराठी, डॉ. प्रेम गढ़कोटी, डॉ. सरिता पांडे, संजय कुमार, डॉ. ललित आर्य, दिनेश चंद पांडे, दिनेश तिवारी, डॉ. दीपक मेहता आदि उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन डॉ. हेम जोशी ने किया।

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