सीएनई रिपोर्टर
त्रिशूल चोटी फतेह को निकले 04 पर्वतारोहियों के शव खोजी दल ने ढूंढ लिये हैं, शेष बचे 02 की तलाश लगातार जारी है, लेकिन उनके जीवित बचने की सम्भावना दिन बीतने के साथ ही कम होती जा रही है। खराब मौसम के चलते शवों को उठा कर ले जाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
याद दिला दें माउंट त्रिशूल की चढ़ाई पर निकला नौ सेना का एक दल भयानक एवलॉन्च की चपेट में आ गया था। यह दल 03 सितंबर, 2021 को मुंबई से चला था। इस टीम में से 10 पर्वतारोही लापता हो गये थे, जिनमें से कुछ को तो ढूंढ लिया गया, लेकिन आधे से अधिक लापता चल रहे थे। इनकी तलाश में नेहरू पर्वतरोहण संस्थान से रेस्क्यू टीम प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में चमोली से जनपद से त्रिशूल चोटी के लिए टीम रवाना हुई थी। खबरें वही जो समय पर मिले, तो जुड़िये हमारे WhatsApp Group से Click Now
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कर्नल अमित बिष्ट ने मीडिया को बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे जवानों ने 4 पर्वतारोहियों के शव बरामद हुए हैं, जबकि 2 की तलाश जारी है। निम और सेना की टीम शुक्रवार को हुए हादसे के बाद से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। त्रिशूल चोटी पर हलीकॉप्टरों से रेस्क्यू आज सुबह 7 बजे दोबारा शुरू किया गया था। इस दौरान पर्वतारोहियों के बर्फ में दबे दिखे। इस रेस्क्यू अभियान में निम उत्तरकाशी की सर्च एंड रेस्क्यू की टीम, हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल गुलमर्ग, गढ़वाल स्काउट्स से सेना की टीमें शामिल हैं।
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लापता चल रहे पर्वतारोहियों में उत्तराखंड के 13 साल की काम्या भी शामिल है, जो 7120 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउंट त्रिशूल फतह करने निकली थी। काम्या 23 सितंबर को अपने पिता नौ सेना में कमांडर कार्तिकेयन सुंदरम और जवानों के साथ माउंट त्रिशूल फतह के लिए जिले के सुतोल गांव से निकली थी, लेकिन शुक्रवार को त्रिशूल चोटी के कैंप 3 पर ग्लेशियर टूटने से दल के पांच जवान और एक शेरपा (क्लाइविंग विशेषज्ञ) के लापता हो गये, जिनमें काम्या भी थी।
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ज्ञात रहे कि इस साहसी बालिका को गत 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। काम्या मुंबई से यहां आई थी। बीते साल काम्या ने दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकांकागुआ (7000 मीटर) को फतह किया था। तब से पूरे विश्व में उसका नाम हो चुका था।