उत्तराखंड : इन खाली जेबों की बड़ी दुश्वारियां हैं साहब ! शाम 7 बजे तक खुली आपकी बाज़ारों में कौन करे खरीददारी….
अल्मोड़ा। लॉकडाउन के चलते जहां लाखों उत्तराखंडी प्रवासी बेरोजगार होकर अपने मूल जनपद लौट चुके हैं, वहीं प्रदेश में निवासरत गरीब व मध्यम तबके की जेबें भी खाली हैं। उत्तराखंड क्रांति दल ने इस गंभीर समस्या को उठाते हुए कहा है कि जब तक जनता की जेबें खाली होंगी तब तक बाजारों में न तो रौनक लौटेगी और न ही कोई खरीददारी हो पायेगी। इन हालातों में अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने के नाम पर सुबह 7 से शाम 7 तक बाजार खोलने का कोई लाभ होने वाला नही है।
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति मे उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय उपाध्यक्ष ब्रहमानंद डालाकोटी व जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने कई गंभीर मसलों को उठाया है। जिसमें सबसे ज्वलंत मुद्दा सुबह सात से शाम सात बजे तक प्रदेश के बाजार खुले रखने का फैसला है। उक्रांद नेताओं ने कहा कि ”हमारा स्पष्ट मानना है जब तक गरीबों के हाथ में नगद धनराशि नही होगी तब तक न तो बाजारों मे रौनक लौटेगी और ना ही सुबह 7 से शाम 7 बजे तक खुलने वाली दुकानों मे कोई बिक्री होगी।”
क्वारंटीन व्यवस्था पर उठाये सवाल
उन्होंने क्वारन्टीन व्यवस्था पर भी सवाल उठाये। कहा कि सरकार द्वारा केवल रेड जोन से उत्तराखण्ड आ रहे लोगों को सीमावर्ती जिलों या जनपद मुख्यालयों में 7 दिन क्वारन्टीन रखने की व्यवस्था की है, जो काफी नही है। सरकार को बाहर से आ रहे हर व्यक्ति को एक सप्ताह के लिए जनपद मुख्यालय में क्वारन्टीन रखने, कोरोना टेस्ट कराये जाने तथा टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही घरों को भेजने या क्वारन्टीन रखने का उचित आदेश देना चाहिए।
पहाड़ों में कोई रोजगार नही, खेती भी बंजर, क्या करेंगे प्रवासी ?
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि प्रवासी लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा तथा प्रवासी लोगों का पुनः पलायन नही होने देंगे। उक्रांद नेताओं ने कहा कि प्रवासी लोगों को तुरन्त रोजगार देने के लिए पर्वतीय क्षेत्र में न तो कोई कल कारखाने हैं और न ही इतनी जल्दी कोई उद्योग खड़े किये जा सकते हैं, जो प्रवासी गांव में रहकर खेती बाड़ी दुग्ध उत्पादन या कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधि करना चाहते हैं तथा गांव में रहना चाहते हैं उनके सामने एक समस्या यह भी है कि उनके घर गांव व खेत जंगलों में तब्दील हो चुके हैं।
गांवों में मनरेगा के तहत प्रदान करें रोजगार
कहा कि घरों को रहने योग्य, खेतों को कृषि योग्य बनाने के लिए भी उन्हें धन की आवश्यकता है, जो उनके पास नही है। जब तक मेहनत कर उनके खेत उन्हें कुछ आमदनी देंगे तब तक घर का खर्चा चलाने के लिए भी उन्हें नगद धन की आवश्यकता है। इसीलिए सरकार को चाहिए कि ऐसे प्रवासियों जिनके घर रहने योग्य नही रहे खेत खेती करने योग्य नही रहे। गांव जंगली झाड़ियों मे तब्दील हो चुके हैं उन्हें उन गांवों में उक्त कार्यो को कराने के लिए मनरेगा योजना के अन्तर्गत सम्मिलित कर शीघ्र कार्य प्रारम्भ कराया जाए। जिससे प्रवासी एवं अन्य ग्राम वासियों को जीवन यापन हेतु नगद धन भी प्राप्त हो सकेगा तथा धीरे धीरे उनकी भूमि कृषि योग्य हो जायेगी। इस तरह वो कृषि एवं अन्य कार्यों से अपना रोजगार व जीवन यापन सुनिश्चित कर पायेंगे।
यात्रा व्यय में लुट रही जनता, बस सेवा शुरू करें !
उक्रांद नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा क्षमता से आधी सवारियों को लाने, ले जाने की जो परिवहन सुविधा दी गयी है। उससे जनता का बहुत आर्थिक शोषण हो रहा है। लोग जो आर्थिक रूप से पहले ही परेशान हैं दुगुना—तिगुना किराया देकर आना—जाना पड़ रहा है। महंगी परिवहन व्यवस्था के कारण लोग आवागमन भी कम कर रहे हैं। जिससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। उक्रांद नेताओं ने मांग की है कि जनता की सुविधा हेतु राज्य परिवहन निगम की बसों का संचालन शीघ्र आम लोगो के लिए शुरू किया जाए। सरकार के पास यदि बसों की सुविधा नही है, तो निजी बसों का अधिग्रहण कर चलाया जाए अथवा निजी बस मालिकों को आवश्यक परिवहन अनुदान देकर बसों को चलाना सुनिश्चित किया जाए।
जिनके बैंक खातों में दिक्कत उन्हें नगद धनराशि दे सरकार
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने अन्यान्य कारणों से अपने जन धन खाते बन्द कर दिए थे या फिर सामान्य खातों में परिवर्तित कर दिये थे उन्हें केंद्र सरकार द्वारा दी गयी 500 रुपये की धनराशि नही मिल पायी है। इसी प्रकार बैंक खातों में असंचालन व अन्य कमियों के चलते किसान सम्मान धनराशि भी नही मिल पायी है। उसे भी अविलम्ब किसी भांति सभी पात्र लोगो को दिये जाने की आवश्यकता है। उक्रांद नेताओं ने कहा है कि सरकार उक्त सुविधाओ को देने मे कोई कठिनाई महसूस करती है तो सरकार को चाहिए कि वह प्रवासी व अन्य गरीब वर्ग के लोगों को तत्काल समुचित धनराशि नगद उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे। उक्रांद नेताओं ने यह भी कहा है कि सरकार शीघ्र उक्त बिन्दुओं पर कार्यवाही नही करती है तो वे आंदोलनात्मक कार्यवाही को भी बाध्य हो जायेंगे।