हल्द्वानी। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों को कमज़ोर करने, सरकारी उपक्रमों का निजीकरण कर पूंजीपतियों के हवाले कर आम जन का शोषण करने, श्रम क़ानूनों में संशोधन कर श्रम कोड लागू करने, रेल-बीमा-बैंक-रक्षा-कोयला जैसे पब्लिक सेक्टर के निजीकरण, किसान विरोधी कृषि कानूनों, बढ़ती महंगाई, नई पेंशन स्कीम के विरोध में तथा न्यूनतम मज़दूरी 21000 माह, गैर आयकर दाताओं को 7500 प्रतिमाह देना, आशा-आंगनबाड़ी- भोजनमताओं सहित सभी स्कीम वर्कर को न्यूनतम वेतन व सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देने की मांगों तथा फासीवादी एजेंडों को लागू कर साम्प्रदायिकता को फ़ैलाने के मंसूबों के ख़िलाफ़ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 26 नवंबर 2020 को होने वाली अखिल भारतीय आम हड़ताल में आल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस ‘ऐक्टू’ पूरी ताकत से शामिल होगा। यह बात एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ‘ऐक्टू’ नेता और ‘उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन’ के प्रदेश महामंत्री डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कही।
उन्होंने बताया कि, “उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन समेत ऐक्टू से जुड़ी सभी यूनियनें, बीमा कर्मचारी संघ, मेडिकल रिप्रजेंटेटिवस की यूनियन यूकेएमएसआरए, बैंकिग क्षेत्र की यूनियनें, सीटू से संबद्ध राज्य पथ परिवहन यूनियन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, भाकपा (माले), अखिल भारतीय किसान महासभा, पछास व अन्य संगठन संयुक्त रूप से बुद्धपार्क हल्द्वानी में विरोध प्रदर्शन व सभा करेंगे।”
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उन्होंने हल्द्वानी की सभी ट्रेड यूनियनों, कामगारों, मजदूरों, हड़ताल समर्थक पार्टियों व संगठनों से अपील की। कि 26 नवंबर को सुबह 10 बजे से बुद्धपार्क हल्द्वानी में संयुक्त रूप से होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर केंद्र की मोदी सरकार की मेहनतकश विरोधी- जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करें।