वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की तैयारी, चुनाव आयोग-गृह मंत्रालय की बैठक में फैसला

नई दिल्ली | केंद्र वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के अधिकारियों की बैठक हुई। इसके लिए जल्द ही एक्सपर्ट की राय ली जाएगी।
आयोग का कहना है कि वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इससे पहले 2015 में भी ऐसी कोशिश हो चुकी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बंद कर दिया गया था। चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, लेकिन आधार केवल व्यक्ति की पहचान है। इसलिए, यह निर्णय लिया गया कि मतदाता फोटो पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के लिए सभी कानूनों का पालन किया जाएगा।
अभी क्या है लिंकिंग की प्रक्रिया
कानून मतदाता सूचियों को आधार डेटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है। सरकार ने संसद में बताया है कि आधार-वोटर कार्ड लिंक करने की प्रक्रिया पहले से चल रही है। प्रस्तावित लिंकिंग के लिए कोई लक्ष्य या समयसीमा निर्धारित नहीं की गई थी। सरकार ने यह भी कहा कि जो लोग अपने आधार कार्ड को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते हैं, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे।
चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे
भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के सूत्रों के अनुसार, वोटर-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी को बढ़ाना है। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO), जिला चुनाव अधिकारियों (DEO) और मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEO) लेवल पर मीटिंग करेगा। इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक तौर पर सुझाव मांगे हैं।
सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है वोटर ID को आधार से लिंक करने पर रोक
वोटर ID को आधार से लिंक करने का प्रयास चुनाव आयोग पहले भी कर चुका है। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम (NERPAP) चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर ID को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था। ये प्रक्रिया रोक सुप्रीम कोर्ट द्वारा वोटर ID को आधार से लिंक करने पर रोक लगाए जाने के बाद रुकी।
दरअसल, वोटर ID को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर ID और आधार को लिंक करने से रोक दिया था। 26 सितंबर 2018 को आधार को लेकर दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं के अलावा आधार को किसी भी सेवा के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है।
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