✍️ पलायन रोकने के प्रयासों पर तमाचा जड़ती बागेश्वर जिले के गांव की व्यथा
दीपक पाठक, बागेश्वर
जनपद के कई दूरस्थ गांव आज भी विकास से कोसों दूर हैं। दौर भले ही वैज्ञानिक व नया हो, लेकिन इन गांवों को न तो संचार सुविधा मिली और न ही यातायात सुविधा। इतना ही नहीं मूलभूत जरुरत में शामिल स्वास्थ्य सुविधा भी इन्हें नसीब नहीं हो सकी। इन हालातों को अनदेखा कर पलायन रोकने की बातें की जा रही हैं। ऐसे गांवों का एक नमूना तहसील कपकोट को दूरस्थ गांव बीथी है। मजबूरी का ताजा उदाहरण गत रविवार को देखने को मिला, जब पेट दर्द से कराहती एक महिला को अस्पताल लाने के लिए खराब मौसम के बावजूद डोली में बिठाकर 05 किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। यह स्थिति तब है, जब ग्रामीण विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक सड़क व स्वास्थ्य आदि की गुहार लगा चुके हैं। मगर हालात जस के तस और बातें विकास को अंतिम छोर के गांव तक पहुंचाने की। गांव के लोगों को इंतजार है कि देहरादून से चला विकास बीथी कब पहुंचेगा।
बीथी गांव के युवा सामाजिक कार्यकर्ता रोशन गड़िया ने बताया कि रविवार अपराह्न गांव की 45 वर्षीया बीना देवी के पेट में अनाचक तेज दर्द उठा। पहले उन्होंने घरेलू उपचार किया, लेकिन दर्द और तेज होने लगा। सड़क नहीं होने उनकी परेशानी बढ़ गई। बाद में ग्रामीणों ने 05 किमी पैदल डोली में रखकर उसे सड़क मार्ग तक पहुंचाया। यहां से वाहन में रखकर सीएचसी कपकोट ला सके। वहां उपचार के बाद उन्हें आराम हुआ। अब अल्ट्रासाउंड आदि जांच सोमवार को होगी। उन्होंने बताया वह सड़क के लिए कई बार अनशन कर चुके हैं। कुछ समय पूर्व केदारेश्वर मैदान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखित पत्र भी दिया, उससे पहले भी पूर्व विधायक और दर्जा कैबिनेट मंत्री ने लिखित में आश्वासन भी दिया है, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी। करीब 250 की आबादी वाला उनका गांव संचार सुविधा को भी मोहताज है। बीएसएनएल का टावर स्वीकृत हुआ है, किंतु अब पता चल रहा कि उनके गांव में नहीं बल्कि अन्यत्र कहीं लगाया जा रहा है, जिसकी शिकायत भी जिलाधिकारी से की गई है। कई बार ज्ञापन दे चुके हैं और सड़क की मांग पर चुनाव बहिष्कार भी हुआ है। इसके बाद भी समस्या जस की तस बनी है। महिला को डोली में ले जाने में मोहन सिंह, लक्ष्मण सिंह, किशन सिंह, सुंदर सिंह, रोशन सिंह, गिरीश सिंह, नंदन सिंह आदि शामिल रहे।