नई दिल्ली | ओडिशा रेल हादसे की समयबद्ध जांच उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले एक विशेषज्ञ आयोग से कराने का निर्देश देने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि यह दुर्घटना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार और नागरिकों की स्वतंत्रता के उल्लंघन के मद्देनजर उच्च अधिकारियों द्वारा की गई घोर लापरवाही को दर्शाती है।
दो जून को हुए इस हादसे में 288 लोगों की मृत्यु और 1000 से अधिक लोगों के घायल हो गये हैं।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर इस याचिका में भारतीय रेलवे प्रणाली की मौजूदा जोखिम और सुरक्षा मानकों का विश्लेषण और समीक्षा करके इसे मजबूत करने के लिए व्यवस्थित संशोधनों का सुझाव देने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है।
उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा व्यवस्था (एटीपी) ‘कवच’ लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश भी मांग की है। ट्रेन संचालन की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में इस मत्वपूर्ण कदम की घोषणा रेल मंत्रालय ने 23 मार्च 2022 को की थी।
अधिवक्ता तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च अधिकारियों द्वारा बार-बार इस तरह (रेल हादसा) की अनियमित और लापरवाहीपूर्ण कार्रवाइयों के साथ ही सख्त न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
याचिका में ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में तीन ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने से 288 से अधिक लोगों की मौत और 1000 से अधिक लोग घायल तथा इससे सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान होने का जिक्र है। याचिका में कहा गया है कि यह हादसा पिछले कुछ दशकों में भारत में सबसे बड़े रेल हादसों में से एक है।