आज के बड़े अपडेट्स…
➡️ आज गृह मंत्रालय की एक टीम जोशीमठ आएगी और लैंडस्लाइड में हुए नुकसान का जायजा लेगी।
➡️ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। स्वामी 22 जनवरी से एक यज्ञ भी करने वाले हैं।
➡️ 478 घर और 2 होटलों की पहचान की गई है, जिन्हें गिराया जाना है। अब तक 81 परिवारों को हटाया गया है।
चमोली| उत्तराखंड के जोशीमठ में आज मंगलवार को 2 होटल गिराए जाएंगे। यहां मकानों में दरारें आने के बाद एक्सपर्ट टीम ने यह फैसला लिया है। होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू में से पहले मलारी इन को गिराया जाएगा। टीमें बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंच गई हैं। इन्हें गिराने का काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्ज इंस्टीट्यूट (CBRI) की निगरानी में होगा। SDRF की टीम भी मौके पर मौजूद है।
SDRF ने बताया दो होटलों को गिराने का एक्शन प्लान
दो होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू गिराए जाएंगे। SDRF के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने कहा कि टीम ने आज होटल मालारी इन गिराने का फैसला किया है। सबसे पहले ऊपरी हिस्सा गिराया जाएगा। दोनों होटल एक-दूसरे के काफी करीब आ चुके हैं। इनके आसपास मकान हैं इसलिए इन्हें गिराना जरूरी है। होटल और ज्यादा धंसे तो गिर जाएंगे। SDRF तैनात कर दी गई है। लाउडस्पीकर से लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा जा रहा है।
होटल मालिक बोले- नोटिस तो दिया जाना था
होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा, “अगर लोगों के भले के लिए इमारत गिराई जानी है तो मैं सरकार के साथ हूं। फिर चाहे जरा सी ही दरार ही क्यों न आई हो। लेकिन मुझे नोटिस तो दिया जाना था। होटल का मूल्यांकन करते। मैंने ऐसा करने को कहा है। इसके बाद मैं चला जाऊंगा।”
जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया
राज्य सरकार ने जोशीमठ को तीन जोन में बांटने का फैसला किया है। ये जोन होंगे- डेंजर, बफर और सेफ जोन। डेंजर जोन में ऐसे मकान होंगे जो ज्यादा जर्जर हैं और रहने लायक नहीं हैं। ऐसे मकानों को मैन्युअली गिराया जाएगा, जबकि सेफ जोन में वैसे घर होंगे जिनमें हल्की दरारें हैं और जिसके टूटने की आशंका बेहद कम है। बफर जोन में वो मकान होंगे, जिनमें हल्की दरारें हैं, लेकिन दरारों के बढ़ने का खतरा है। एक्सपर्ट्स की एक टीम दरार वाले मकानों को गिराने की सिफारिश कर चुकी है।
लैंडस्लाइड से हमारा कोई लेना देना नहीं- NTPC
राज्य की पावर प्रोड्यूसर कंपनी NTPC ने कहा है कि तपोवन विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट का जोशीमठ में हो रहे लैंडस्लाइड से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि जोशीमठ लैंडस्लाइड के लिए NTPC के एक हाइड्रो प्रोजेक्ट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि NTPC के हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए सुरंग खोदी गई, जिस वजह से शहर धंस रहा है। हालांकि NTPC ने इन सब बातों को खारिज कर दिया है।
जोशीमठ के मकानों पर रेड क्रॉस
जोशीमठ के सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग एरिया डेंजर जोन में हैं। यहां के मकानों पर रेड क्रॉस लगाए गए हैं। प्रशासन ने इन मकानों को रहने लायक नहीं बताया है। चमोली DM हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ और आसपास के इलाकों में कंस्ट्रक्शन बैन कर दिया गया है।
यहां 603 घरों में दरारें आई हैं। ज्यादातर लोग डर के चलते घर के बाहर ही रह रहे हैं। किराएदार भी लैंड स्लाइड के डर से घर छोड़कर चले गए हैं। अभी तक 70 परिवारों को वहां से हटाया गया है। बाकियों को हटाने का काम चल रहा है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे रिलीफ कैंप में चले जाएं।
जोशीमठ के हालात पर सरकार और एक्सपर्ट…4 पॉइंट
1️⃣ PM मोदी ने CM से पूछा- कितने लोग प्रभावित है
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर जानकारी ली। धामी ने बताया कि PM ने कई तरह के प्रश्न पूछे जैसे कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं, कितना नुकसान हुआ, लोगों के विस्थापन के लिए क्या किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
2️⃣ एक्सपर्ट बोले- लैंडस्लाइड का रिस्क बड़ा
PMO से मीटिंग के दौरान एक्सपर्ट ने जोशीमठ में बड़े रिस्क की आशंका जाहिर की गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लास्टिंग और शहर के नीचे सुरंग बनाने की वजह से पहाड़ धंस रहे हैं। अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया, तो शहर मलबे में बदल सकता है। सुखवीर सिंह संधू ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बिना किसी नुकसान के लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कराया जाए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक यह पता लगाने में लगे हैं कि लैंडस्लाइड को कैसे रोका जा सकता है। जल्द ही समाधान ढूंढ लिया जाएगा। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने शुरू कर दिए गए हैं, हालांकि अभी के हालात को देखते हुए लोगों को डेंजर जोन से निकालना ज्यादा जरूरी है।
3️⃣ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, शंकराचार्य ने PIL दाखिल की
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की है। उन्होंने कहा- पिछले एक साल से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं।
4️⃣ NTPC का बयान- हमारी सुरंग जोशीमठ से गुजरती ही नहीं
एनटीपीसी ने एक बयान में कहा- “एनटीपीसी की बनाई गई सुरंग जोशीमठ शहर के नीचे से नहीं गुजरती है। यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) द्वारा खोदी गई है और वर्तमान में कोई ब्लास्टिंग नहीं की जा रही है।”
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