Uttar Pradesh

UP के मुस्लिम बहुमत वाले सीटों पर क्यों खेल रहे हैं SP-BSP हिन्दू कार्ड?


उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच शह-मात का खेल जारी है. प्रदेश में इस बार BJP ही नहीं बल्कि SP, BSP और Congress भी मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से परहेज कर रही हैं. मुस्लिमों की जगह हिंदू कार्ड खेल रहे हैं. पश्चिमी UP से लेकर पूर्वांचल तक की सीटों पर यही पैटर्न दिख रहा है. 20 फीसदी मुस्लिम समुदाय न सिर्फ विधानसभा सीटों पर बल्कि लोकसभा चुनाव में भी जीत-हार में भूमिका निभाता है. इसके बावजूद क्या वजह है कि BSP और SP मुसलमानों पर दांव खेलने से बच रही हैं?

UP में मुस्लिम आबादी भले ही 20 फीसदी हो, लेकिन पश्चिमी UP में यह 26 से 50 फीसदी तक है. 26 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनमें से अधिकांश पश्चिमी UP और रोहिलखंड क्षेत्र में हैं। SP ने अब तक केवल चार मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जबकि BSP ने सात मुसलमानों को टिकट दिया है। Congress ने UP की दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि BJP ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है. BJP पहले भी ऐसा ही करती रही है, लेकिन इस बार SP ने अपना रुख बदल लिया है. मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू समुदाय के उम्मीदवार उतारे गए हैं.

मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू उम्मीदवार

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मेरठ, बिजनोर, मुज़फ्फरनगर, मुरादाबाद, कैराना, संभल, बरेली, बदायूँ, ग़ाज़ीपुर, श्रावस्ती, गोंडा, आज़मगढ़, फ़िरोज़ाबाद, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, धौरहरा (शाहाबाद), बागपत, प्रतापगढ़, सीतापुर, देवरिया , डुमरियागंज। , सुल्तानपुर, संत कबीर नगर, उन्नाव, रामपुर और सीतापुर में मुस्लिम समुदाय के नेता लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। इन सीटों पर कभी न कभी मुस्लिम समुदाय से सांसद रहे हैं. हालांकि, इस बार राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम समुदाय से उम्मीदवार उतारने से बच रही हैं, जिनमें कई सीटें ऐसी हैं जहां 37 से 40 फीसदी मुस्लिम हैं.

मेरठ लोकसभा सीट पर BJP ने अरुण गोविल, SP ने भानु प्रताप सिंह और BSP ने देववृत त्यागी को मैदान में उतारा है. इस तरह तीनों प्रमुख पार्टियों में हिंदू उम्मीदवार हैं जबकि पहले SP और BSP मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही हैं. मुस्लिम सांसद भी रहे हैं और 2019 में BSP के याकूब क़ुरैशी बेहद मामूली वोटों से हार गए थे. यहां 37 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, फिर भी किसी राजनीतिक दल ने मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव नहीं लगाया है.

बिजनौर लोकसभा सीट पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन इस बार किसी भी पार्टी ने किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है. SP ने दीपक सैनी, RLD ने चंदन चौहान और BSP ने चौधरी बिजेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2019 के चुनाव में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने Congress से चुनाव लड़ा था और 2014 में शाहनवाज राणा ने SP से और शाहिद सिद्दीकी ने RLD से चुनाव लड़ा था. अब्दुल लतीफ गांधी यहां से सांसद रह चुके हैं.

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर BJP ने संजीव बलियान, SP ने हरेंद्र मलिक और BSP ने दारा सिंह प्रजापति को मैदान में उतारा है. इस तरह तीनों बड़ी पार्टियों में से किसी ने भी मुसलमानों को टिकट नहीं दिया, जबकि यहां करीब 34 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. 2014 में कादिर राणा दूसरे नंबर पर थे जबकि 2009 में वह यहां से सांसद थे. कादिर राणा समेत सात मुस्लिम नेता मुजफ्फरनगर से सांसद रह चुके हैं। इसके बावजूद किसी भी बड़ी पार्टी ने इस बार किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है.

बागपत सीट पर सभी पार्टियों ने हिंदू उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें BSP से प्रवीण बंसल, RLD से राजकुमार सांगवान और SP से मनोज चौधरी मैदान में हैं. 2014 में SP के गुलाम मोहम्मद दूसरे नंबर पर थे जबकि चौधरी अजित सिंह तीसरे नंबर पर थे. 2004 में BSP के औलाद अली दूसरे नंबर पर रहे थे. बागपत में करीब 26 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. इसके बाद भी किसी भी पार्टी ने मुस्लिमों पर दांव नहीं खेला.

बरेली लोकसभा सीट पर करीब 30 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. BJP ने छत्रपाल गंगवार को, SP ने प्रवीण ऐरन को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि BSP ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लखीमपुर खीरी सीट पर SP, BSP और BJP ने मुस्लिम की बजाय हिंदू उम्मीदवार पर दांव लगाया है. 2009 में सांसद रह चुके हैं जफर अली नकवी फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से तीन बार मुस्लिम सांसद रह चुके हैं। Congress के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद दो बार सांसद रह चुके हैं और उनसे पहले उनके पिता जीनत भी यहां से सांसद रह चुके हैं। इसके बावजूद किसी भी पार्टी ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया.

श्रावस्ती लोकसभा सीट पर करीब 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, लेकिन किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है. श्रावस्ती सीट पहले बलरामपुर के नाम से जानी जाती थी, जहां से रिजवान जहीर और फसीउर रहमान सांसद रह चुके हैं. आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय 27 फीसदी है और अकबर अहमद डंपी यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं. इस बार SP और BJP दोनों ने यादव उम्मीदवार उतारे हैं जबकि BSP ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. फिरोजाबाद, लखनऊ, धौहरारा (शाहाबाद), प्रतापगढ़, सीतापुर और देवरिया के साथ ही डुमरियागंज और सुल्तानपुर सीटों पर मुस्लिम चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार कोई भी पार्टी मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाने से बच रही है.

7 सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सात लोकसभा सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. 2019 में इन सात सीटों में से छह पर मुस्लिम सांसद चुने गए। 2014 में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया। आजादी के बाद यह पहली बार था कि कोई मुस्लिम चुनाव नहीं जीत सका। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाता लंबे समय से किंगमेकर की भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन समय के साथ राजनीति ने ऐसी करवट ली कि राजनीति अल्पसंख्यक से बहुसंख्यक समुदाय की ओर शिफ्ट हो गई. यही वजह है कि BSP से लेकर Congress और SP तक सभी किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव लगाने से बच रहे हैं.

राज्य की सियासी बिसात पर मुस्लिम वोट बैंक की सियासी अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इसीलिए प्रदेश में SP-Congress गठबंधन से लेकर BSP तक सबकी नजर मुस्लिम वोटों पर है, वहीं BJP भी पसमांदा मुस्लिम पर दांव खेल रही है, लेकिन टिकट देने से कतरा रही है. विपक्ष को डर है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण BJP के पक्ष में हो सकता है. इसीलिए वह हिंदू उम्मीदवार देकर मुस्लिम वोटों के साथ-साथ हिंदू वोटों को भी अपने साथ रखना चाहती है. यही वजह है कि विपक्ष ने इस बार अपना पैटर्न बदल लिया है.

हालांकि, कैराना लोकसभा सीट पर SP ने इकरा हसन के रूप में मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, जबकि सहारनपुर और अमरोहा सीटों पर Congress और BSP ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. SP और BSP ने मुरादाबाद, संभल और रामपुर लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। BSP ने UP की सात लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें कन्नौज, आंवला और अंबेडकर नगर सीटें शामिल हैं. SP ने अफजाल अंसारी को गाजीपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है.

Deepak Manral

DEEPAK MANRAL E-Mail : [email protected] >> Successful experience of journalism in the field of Daily Hindi News papers & Magazines. (Amar Ujala, Uttaranchal Deep, Pradhan Times Daily, Katyuri Mansarovar, Dharmyudh etc.) >> Career Objective : To broaden my vision by continuous learning & taking up challenging assignments. >> Summary : A total experience of nearly 6 years in the field of desk top publication, Edition & News Reporting Major part had been working with “Amar Ujala” as a News Reporter and later Bureo Chief Bageswar. I have been exposed to both criminal & political Reporting. >> Work Experience : Organization : Ms Amar Ujala publication ltd. Worked as a News Reporter with this reputed Hindi Newspaper wherein exposed to both criminal & Political reporting while being attached to their various offices at Haldwani, Almora, Ranikhet & Bageshwar Duration : 6 Years (Jan 2001 to May 2006) Organization : M/s Katyuri Prakashan (A family owned publication house taking out Quarterly magazines namely ‘Katyuri Mansarovar’ & ‘Dharmyudh’. >> Key Performance Areas Editing of the articles being received from various sources. Handling all related correspondences. Freelance writing in various News Papers : 3 Years (2009 to 2011) Ms Uttaranchal Deep Hindi Daily >> Duration : 7 Years (2012 to 2018) >> Key performance Areas Covered criminal reporting while based at Haldwani. Covered political reporting while based at Almora Office. Was responsible for mainly editing job while based at Ranikhet & Subsequently at Bagheswar office. >> Academic Qualification : M.A. (Hindi) from Kumaun University in 1999. 6 Monts computer Course from JCTI, New Delhi. B.A. From Delhi University in 1996 12th from CBSE, Delhi in 1993 >> Technical Expertise : Proficiency in DTP. Proficient in Page Maker & Coral Draw. Good Knowledge of English & Hindi typesetting. Hardcore Knowledge of composing & editing. >> Personal Profile : Date of Birth : 13th Nov, 1974 Father’s Name : Late Mr. Balwant Manral >> Communication Address : Manral Sadan, Narsing Bari, Almora (Uttarakhand) 263601

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