सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
अल्मोड़ा के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले करबला गंदगी के ढेर में तब्दील होता जा रहा है। बौद्धिक नगरी के लिए यह सबसे शर्म की बात है कि शहर में प्रवेश करते समय सबसे पहले यहां गंदगी के ही दर्शन पर्यटक करते हैं। इस गम्भीर मसले पर नगर पालिका व कैंट प्रशासन को ठोस प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता व समाजसेवी आशीष जोशी ने इस मसले को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा आने वाला अधिकांश पर्यटक नगर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले करबला से ही शहर में प्रवेश पाता है। यहां आने वाले पर्यटकों की सबसे पहले यहां बेहताशा फैली गंदगी पर ही नजर पड़ती है। उन्होंने बताया कि यहां तमाम गंदगी के अलावा बेहताशा प्लास्टिक का कचरा भी बिखरा पड़ा है, जिसे गौ माता चरती हुईं अकसर नजर आती हैं। यहां एक पालिका का कूड़ेदान भी लगाया गया है, लेकिन इस कूड़ेदान का प्रयोग करने की बजाए लोग जहां—तहां गंदगी फेंक देते हैं। इधर एक शौचालय भी बना है, लेकिन वहां पानी की व्यवस्था नहीं होने से कई लोग मल—मूत्र का शौचालय से बाहर ही विसर्जन करते हैं। जिससे भयंकर बदबू से यहां से गुजरना तक मुश्किल हो जाता है।
यही नहीं, करबला में कचरे के अलावा निर्माण कार्य का मलबा भी जहां—तहां बिखरा पड़ा रहता है। वहीं पर टैक्सी पार्किंग भी बन गई है। यहां कई वाहन गंदगी के ढेर में ही खड़े रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनकी कैंट प्रशासन से वार्ता भी हुई, लेकिन कैंट प्रशासन का कहना है कि वह स्टॉफ की कमी से जूझ रहे हैं। कई बार सफाई की गई, लेकिन स्थानीय लोग यहां बार—बार गंदगी फेंक दिया करते हैं। आशीष जोशी ने प्रशासन से मांग करी कि इस इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने की जरूरत है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर यहां कचरा कौन लोग डाल रहे हैं। जो भी ऐसा करता पाया जाये उससे कम से कम 10 हजार का जुर्माना वसूला जाये। ताकि यह अन्य लोगों के लिए भी सबक हो। आशीष जोशी ने बताया कि उन्होंने एक महिला को जब कचरा डालते देखा तो उन्हें ऐसा करने से रोकने का भी प्रयास किया, लेकिन महिला का कहना था कि उनके घर के आस—पास कहीं भी कूड़ेदान नहीं है इसलिए वह यहां कचरा डालने को मजबूर हैं। आशीष जोशी ने मांग करी कि पालिका व कैंट प्रशासन को भी अधिकांश स्थानों पर्याप्त संख्या में कूड़ेदान लगवाने चाहिए, ताकि लोग अपने घर का कचरा सार्वजनिक स्थानों पर डालने का मजबूर न हों।
Polythene bags and related materials should be ban in Uttrakhand