देहरादून| विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी 31 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएगी। इस साल घाटी में रिकॉर्ड पर्यटक आए जिससे वन विभाग ने 31 लाख से अधिक की कमाई की है। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की घाटी रंग बिरंगे फूलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है।
यहां के स्लोप पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। घाटी पर्यटकों के लिए एक जून के खोली गई थी। अब घाटी के बंद होने का समय भी आ गया है। ठंड बढ़ने के साथ ही घाटी में अब अधिकांश फूल सूखने लगे हैं।वहीं, हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के बाद फूलों की घाटी में काफी कम संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के फूलों की घाटी रेंज के रेंजाधिकारी गौरव नेगी ने बताया कि घाटी में इस साल अभी तक रिकॉर्ड 20,827 तीर्थयात्री आ चुके हैं जिसमें 280 विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। इससे विभाग को 31,73,400 की आय प्राप्त हो चुकी है। इससे पहले वर्ष 2019 में 17,424 पर्यटक आए थे जिनसे विभाग को 27,60,825 रुपये की आय हुई थी।
घाटी में जुलाई से अक्तूबर तक 300 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। जुलाई के पहले हफ्ते से अक्तूबर तीसरे हफ्ते तक कई फूल खिले रहते हैं। यहां पोटोटिला, प्रिम्यूला, एनीमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल खिले रहते हैं।
घाटी में दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति व जड़ी बूटियों का भंडार है। विभिन्न प्रकार के फूल होने पर यहां तितलियों का भी संसार रहता है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिम तेंदुआ भी दिखता है।
वहीं, इस बार फूलों की घाटी में जिन जगहों पर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने गोल्डन फर्न और पॉलीगोनम को नष्ट किया वहां इस बार फूलों की अच्छी पैदावार हुई है। बता दें कि पॉलीगोनम और गोल्डन फर्न फूलों के दुश्मन हैं। गोल्डन फर्न के पौधे के पत्ते चौड़े और हल्के पीले रंग के होते हैं। यह अपने आसपास फूलों को पनपने नहीं देता।