बागेश्वर। एक बार फिर 7 वर्ष बाद उत्तरांचल टी (Uttaranchal Tea) आपके घरों तक पहुंचेगी और आपको चाय का वह स्वाद देगी जो आज से 6-7 साल पहले दिया करती थी।
Kausani Tea Factory
जी हां उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में बंद पड़ी चाय फैक्ट्री के एक बार फिर खुलने की कवायद तेज होती नजर आ रही है। बागेश्वर जिले से कैबिनेट मंत्री बनने के बाद चंदन राम दास का यह पहला ऐतिहासिक कदम है। जिससे कौसानी क्षेत्र के लगभग तीन हजार किसानों को रोजगार का लाभ मिलेगा।
उत्तरांचल टी की वापसी (Uttaranchal Tea)
बागेश्वर जिले का कौसानी क्षेत्र पर्यटन के लिए तो जाना ही जाता इसके साथ ही यह चाय बागानों के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है। यहां पिछले 7 सालों से बंद पड़ी चाय की फैक्ट्री अब हजारों किसानों के लिए रोजगार की आस बनने जा रही हैं, बंद पड़ी चाय की फैक्ट्री को शुरू करने के लिए टी बोर्ड ने कदमताल शुरू कर दिए हैं।
कौसानी चाय बागान (Kausani Tea Garden)
एक दौर था जब कौसानी चाय बागान पूरे देश में अपनी विशेष पहचान बना चुका था और साथ ही कई स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से जोड़ चुका था। लेकिन सिर्फ सरकार की नीतियां कुछ इस तरह बदली की चाय फैक्ट्री ही बंद हो गई अब नई सरकार ने फिर से लोगों में एक आस जगाई है। 21 वर्ष पहले खोली गई चाय फैक्ट्री अब फिर से 7 वर्ष बाद सुचारू होगी।
कब तक होगा फैक्ट्री का संचालन
फैक्ट्री कब तक चलेगी इस पर अभी बादल छंटे नहीं हैं। फैक्ट्री का संचालन प्राइवेट स्तर से होता है। जबकि टी-बोर्ड स्वयं संचालित करने की बात कर रही है। अलबत्ता फैक्ट्री के खुलने से विश्व प्रसिद्ध चाय को फिर से पहचान मिलने की उम्मीद बांधे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
50 हेक्टेयर भूमि पर हुआ था चाय बागान विकसित
आपको बता दें कि, वर्ष 1994-95 में कुमाऊं मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम में चाय प्रकोष्ठ की नींव रखी गई। लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में 211 हेक्टेयर भूमि का चयन चाय के बागान के लिए हुआ। जिसमें 50 हेक्टेयर भूमि पर ही चाय बागान विकसित किए। 2001 में व्यावसायिक तौर पर चाय बनाने की तैयारी हुई। चाय प्रकोष्ठ ने एक निजी कंपनी गिरीराज को कौसानी में चाय की फैक्ट्री लगाने के लिए आमंत्रित किया। सात जून 2001 को हुए एमओयू के मुताबिक, अनुबंध अगले 25 वर्ष तक था। चाय फैक्ट्री लगाने का 89 प्रतिशत खर्चा गिरीराज कंपनी को उठाना था। News WhatsApp Group Join Click Now
वर्ष 2002 में उत्तरांचल टी बाजार में आई
2002 में 50 हेक्टेयर में विकसित चाय बागान से 70 हजार 588 किलोग्राम कच्ची चाय की पत्तियां उत्पादित हुईं। जिसमें से लगभग 13 हजार 995 किलोग्राम चाय तैयार हुई। इसे उत्तरांचल टी (Uttaranchal Tea) के नाम से बाजार में उतारा गया था। वर्ष 2004 में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड का गठन किया। 2013 तक बोर्ड ने 211 हेक्टेयर भूमि में चाय का उत्पादन कर 2.50 लाख किलो कच्ची पत्तियां कंपनी को उपलब्ध कराईं। जून 2014 को फैक्ट्री ने दम तोड़ दिया।
चाय फैक्ट्री खोलने का निर्णय
टी-बोर्ड के डायरेक्टर हरपिंदर सिंह बबेजा ने बताया कि बंद पड़ी चाय फैक्ट्री को खोलने का निर्णय लिया गया है। जिस पर काम शुरू हो गया है। कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के साथ बैठक भी बीते शुक्रवार को आयोजित हुई। फैक्ट्री को टी-बोर्ड संचालित करेगा। चाय की यह फैक्ट्री वर्ष 2014 के जून माह में बंद हो गई थी जिसे अब फिर से शुरू किया जाएगा। और इससे एक बार फिर से उत्तरांचल टी बाजार में आएगी। (Uttaranchal Tea is back in Uttarakhand)