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उत्तराखंड: जंगली जानवरों के हमले में मौत पर अब मिलेगा 6 लाख का मुआवजा


देहरादून| मानव वन्यजीव संघर्ष में किसी व्यक्ति की मौत होने पर अब चार के बजाय छह लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, गंभीर रूप से घायल होने पर मुआवजा 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है। मानव वन्यजीव संघर्ष के मामलों में क्षतिपूर्ति के लिए दो करोड़ रुपये का कॉरपस फंड बनाया जाएगा। इसके अलावा शिवालिक एलीफेंट रिजर्व का अस्तित्व बरकरार रहेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 18वीं बैठक में आए तमाम प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। इससे पहले सीएम ने एक अक्तूबर को हाथी दिवस के अवसर पर मौत के मामलों में मुआवजा चार लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की घोषणा की थी। इसका शासनादेश अभी जारी नहीं हुआ था। बोर्ड बैठक में इसे बढ़ाकर छह लाख रुपये कर दिया गया। इस राशि में से चार लाख रुपये आपदा मद से और दो लाख रुपये वन विभाग देगा।

बोर्ड बैठक में प्रदेश में जिम कॉर्बेट ट्रेल की स्थापना करने का भी निर्णय लिया गया। जिम कार्बेट से जुड़े स्थानों को विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए पर्यटन विभाग के सहयोग से कार्ययोजना बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काम चरणबद्ध तरीके से शुरू किए जाएं। इसके अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत चौरासी कुटिया का अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकास किया जाएगा। यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग के सहयोग से यह कार्य किया जाएगा।

15 दिन में दें मुआवजा राशि : सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए और प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। इसके लिए वन विभाग एवं प्रशासन को सामंजस्य से कार्य करना होगा। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित के परिजनों को मुआवजा राशि 15 दिन के भीतर मिल जानी चाहिए। लोगों को इसके लिए चक्कर न काटने पड़ें।

पर्यावरण और विकास में बनाना होगा संतुलन

मुख्यमंत्री ने कहा कि बुग्यालों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। बंदरों से फसलों को होने वाली क्षति को रोकने के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। उन्होंने बॉयो फेंसिंग पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना है। बैठक में विधायक रेनू बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड डॉ. समीर सिन्हा, एडीजी वी. मुरुगेशन और उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

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