सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
विधानसभा चुनाव 2022 को फ़तेह करना भाजपा के लिए अब भी आसान नहीं है। जिसका कारण यह है कि आज की तारीख में भी कई बागी नेता ऐसे हैं, जिन्हें पार्टी नेतृत्व अभी तक मना नहीं पायी। अब कहा जा रहा है कि यदि रूठे नहीं माने तो उन्हें निष्कासित करना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि टिकट वितरण के बाद से कांग्रेस के अलावा भाजपा में भी घमासान मचा हुआ है। भाजपा के लिए सत्ता में पुर्नवापसी के लिए जरूरी है कि रूठों को समय से मना लिया जाये। इसके लिए पार्टी ने ऐड़ी चोटी का जोर भी लगाया। इन रूठे नेताओं को मनाने लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट को कुमाऊं, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार, पूर्व सीएम एवं सांसद तीरथ सिंह रावत को गढ़वाल क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई। यही नहीं प्रांतीय पदाधिकारियों, जिलों के प्रभारी मंत्रियों और प्रभावशाली नेताओं को भी इस काम में लगाया गया। इसके बावजूद आज भी पूरे प्रदेश में 14 बागी मैदान से हटे नहीं हैं।
हालांकि विधानसभा की पांच सीटों पर निर्दलीय के रूप में ताल ठोकने वाले कई कार्यकर्त्ताओं को बैठाने में भाजपा कामयाब हो गई। इन बागियों ने सोमवार को नाम वापस ले लिए थे। काफी मशक्कत के बाद डोईवाला सीट पर सौरभ थपलियाल, सुभाष भट्ट, राहुल पंवार व वीरेंद्र रावत, कालाढूंगी सीट पर पूर्व दायित्वधारी गजराज सिंह बिष्ट, घनसाली सीट पर सोहनलाल खंडेलवाल, पिरान कलियर सीट पर जय भगवान सैनी और को मनाने में सफल रही। इन सभी ने सोमवार को नाम वापसी की तिथि पर नाम वापस ले लिए। वहीं नामांकन कराने जा रहे जागेश्वर सीट से सुभाष पांडे और बागेश्वर के कपकोट से शेर सिंह गड़िया को मनाने में भाजपा कामयाब हो गई।
इसके बावजूद अब भी भाजपा के 14 बागी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हालांकि इनसे अभी भी बातचीत चल रही है, लेकिन सूत्र बता रहें हैं कि यदि यह नहीं माने तो इन्हें निष्कासित करने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी। इन बागियों में विधायक राजकुमार ठुकराल (रुद्रपुर), पूर्व विधायक महावीर रांगड़ (धनोल्टी), टीकाराम मैखुरी (कर्णप्रयाग), धीरेंद्र चौहान (कोटद्वार), वीर सिंह पंवार (धर्मपुर), दिनेश रावत (देहरादून कैंट), दर्शनलाल (घनसाली), जितेंद्र नेगी (डोईवाला), कमलेश भट्ट (चकराता), मनोज कोली (यमुनोत्री), अजय तिवारी (किच्छा), मनोज शाह (भीमताल), पवन चौहान (लालकुंआ), टेकबल्लभ, नितिन शर्मा (रुड़की) आदि शामिल हैं। देखना यह है कि चुनाव की तारीख नजदीक आ चुकी है और भाजपा इन बागियों को मना पाती है या इनका निष्कासन होता है। समझा जा रहा है कि यदि यह बागी नहीं माने तो भाजपा को कई सीटों पर जबरदस्त नुकसान हो सकता है।