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UP: आरक्षित सीटें… आरक्षित शक्ति; BJP ने पिछले चार चुनावों में सबसे अधिक आरक्षित सीटें जीतीं

UP: राज्य में आरक्षित लोकसभा सीटों की प्रकृति कुछ अलग है. चक्रव्यूह कुछ अलग है. मूड अलग है क्योंकि इन सीटों पर वही जीतता है जो बुनियादी मुद्दों को छूता है. इतिहास गवाह है कि इन सीटों से निकलने वाला संदेश दूसरी सीटों के नतीजों पर भी असर डालता है. इतिहास यह भी बताता है कि इन सीटों ने सत्ता के शिखर तक पहुंचने के लिए मजबूत सीढ़ियां तैयार करने का काम किया है. जिस पार्टी ने इन सीटों का गणित समझ लिया उसकी नैया पार हो गई. BJP ने इस फॉर्मूले को समझा और पिछले दो चुनावों में सबसे ज्यादा आरक्षित सीटों पर जीत का परचम लहराया. पढ़ें ये रिपोर्ट…

राज्य के बंटवारे से पहले यूपी में 18 (18) लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं. Uttarakhand बनने के बाद UP में एक सीट कम हो गई और कुल 17 सीटें रह गईं. बंटवारे के बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ तीन आरक्षित सीटों पर सफलता मिली. इसमें BSP को 5, कांग्रेस और अन्य को 1-1 सीट पर जीत मिली थी.

जबकि SP ने सबसे ज्यादा 7 सीटें जीतीं. खास बात ये है कि बंटवारे से ठीक पहले 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में BJP ने 7 आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि BSP ने 5 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. 2004 के चुनाव में दोनों को बड़ा झटका लगा. हालांकि, SP की दो सीटें बढ़ी थीं.

पिछले चार लोकसभा चुनावों की बात करें तो अब तक BJP ने सबसे ज्यादा आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की है. इन चारों चुनावों को मिला दिया जाए तो BJP ने कुल 37 सीटें जीतीं. इन सीटों पर BSP ने 9, Congress ने 3, SP ने 17 और दो अन्य ने जीत हासिल की थी.

2014 में BJP ने सभी 17 सीटें जीती थीं

आंकड़े बताते हैं कि जब भी BJP ने आरक्षित सीटों पर बढ़त हासिल की, केंद्र में सरकार बनाई. यही वजह है कि BJP ने इन सीटों पर खास काम किया. इसका नतीजा ये हुआ कि साल 2014 में BJP ने राज्य की सभी 17 आरक्षित सीटों पर जीत का परचम लहराया. पिछले चुनाव में उसे दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था और BSP ने नगीना और लालगंज सीटें उससे छीन ली थीं। इस चुनाव में एक बार फिर BJP ने इन सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी इन सीटों की खासियत की गवाही देते हैं.

विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी इन सीटों की खासियत की गवाही देते हैं. राज्य में कुल 86 सीटें आरक्षित हैं. इनमें से दो सीटें ST के लिए आरक्षित हैं.

2022 के विधानसभा चुनाव में BJP गठबंधन ने कुल 65 सीटें जीतीं. हालांकि, इससे पहले 2017 के चुनाव में BJP ने 70 सीटें जीती थीं. दोनों बार UP में उसकी सरकार बनी.

2012 के चुनाव में SP ने 58 आरक्षित सीटें जीतकर UP में अपनी सरकार बनाई थी. 2007 के चुनाव में BSP ने 61 आरक्षित सीटें जीतकर सत्ता के शिखर पर अपना परचम लहराया.

…इसलिए अनुसूचित जाति पर फोकस

सामाजिक न्याय समिति की 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में दलित आबादी लगभग 29.04 प्रतिशत है। भले ही राज्य में आरक्षित लोकसभा सीटों की संख्या 17 है, लेकिन विभिन्न सीटों पर दलित वोट बैंक निर्णायक स्थिति में है। यही वजह है कि सभी पार्टियां दलित जातियों के वोट बैंक को साधने पर फोकस करती हैं. हाल ही में इसका उदाहरण RLD और BJP के गठबंधन में देखने को मिला.

RLD कोटे से विधानसभा की पुरकाजी सुरक्षित सीट से विधायक अनिल कुमार को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके सहारे RLD SC वर्ग को भी संदेश देना चाहती है. समाजवादी पार्टी जहां अपने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) कार्ड पर लगातार काम कर रही है, वहीं BJP ने भी इसका खास ख्याल रखा है. BSP का शुरू से ही इस वर्ग पर फोकस रहा है।

नगीना के मतदाता प्रयोगधर्मी हैं, हर बार चेहरा बदल लेते हैं

पहले चरण में आरक्षित सीट नगीना के लिए घमासान होगा। यह आरक्षित सीट पहली बार साल 2009 में अस्तित्व में आई. हर बार यहां की जनता किसी नए चेहरे को जितवाती रही है.
इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद 2009 में हुए चुनाव में यहां से SP के यशवीर सिंह धोबी ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 2014 के चुनाव में BJP के यशवंत सिंह ने जीत हासिल की. साल 2019 में यहां से BSP के गिरीश चंद्र ने यशवंत को हराकर चुनाव जीता था.

इस बार BJP से ओम कुमार मैदान में हैं. SP से मनोज कुमार, BSP से सुरेंद्र पाल सिंह और आजाद समाज पार्टी से चन्द्रशेखर आजाद अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। देखना यह है कि इस बार नगीना के प्रयोगधर्मी मतदाताओं का क्या होगा।

इन सीटों के मतदाताओं की नब्ज पर जिसकी उंगली हो गई, वह चुनावी समर में उतर गया।

ये लोकसभा की आरक्षित सीटें हैं

नगीना, बुलन्दशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहाँपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशाम्बी, बाराबंकी, बहराईच, बांसगाँव, लालगंज, मछलीशहर और रॉबर्ट्सगंज वर्तमान में आरक्षित सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में BSP ने लालगंज और नगीना सीट जीती थी। बाकी BJP ने जीत हासिल की थी.

उत्तराखंड बनने से पहले 18 सीटें

वर्ष भाजपा बसपा कांग्रेस सपा अन्य
1991 09 00 01 00 08
1996 14 02 00 02 00
1998 11 02 00 05 00
1999 07 05 00 05 01

उत्तराखंड बनने के बाद 17 सीटें

वर्ष भाजपा बसपा कांग्रेस सपा अन्य
2004 03 05 01 07 01
2009 02 02 02 10 01
2014 17 00 00 00 00
2019 15 02 00 00 00

जो अच्छी तैयारी करता है उसे सफलता मिलती है

आरक्षित सीटों के मतदाता भी किसी एक पार्टी के मतदाता नहीं हैं. चूंकि ये सीटें SC वर्ग के लिए आरक्षित हैं, तो माना जा रहा है कि यहां के मतदाता भी इसी मानसिकता के साथ वोट करेंगे. अब लोग शिक्षित हैं. वे अपना भला-बुरा सोच कर वोट करते हैं. बाकी सीटों की तरह इन सीटों पर भी ये फॉर्मूला लागू होता है. हां, यह जरूर है कि जो पार्टी इन सीटों पर बेहतर तैयारी करती है और अपना एजेंडा स्पष्ट रखती है, उसे चुनाव में फायदा मिलता है। इतिहास बताता है कि ये सीटें सरकार बनाने का रास्ता भी तय करती हैं. – समर्थक। दिनेश कुमार, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

Deepak Manral
Deepak Manralhttp://creativenewsexpress.com
DEEPAK MANRAL E-Mail : udeepmanral@gmail.com >> Successful experience of journalism in the field of Daily Hindi News papers & Magazines. (Amar Ujala, Uttaranchal Deep, Pradhan Times Daily, Katyuri Mansarovar, Dharmyudh etc.) >> Career Objective : To broaden my vision by continuous learning & taking up challenging assignments. >> Summary : A total experience of nearly 6 years in the field of desk top publication, Edition & News Reporting Major part had been working with “Amar Ujala” as a News Reporter and later Bureo Chief Bageswar. I have been exposed to both criminal & political Reporting. >> Work Experience : Organization : Ms Amar Ujala publication ltd. Worked as a News Reporter with this reputed Hindi Newspaper wherein exposed to both criminal & Political reporting while being attached to their various offices at Haldwani, Almora, Ranikhet & Bageshwar Duration : 6 Years (Jan 2001 to May 2006) Organization : M/s Katyuri Prakashan (A family owned publication house taking out Quarterly magazines namely ‘Katyuri Mansarovar’ & ‘Dharmyudh’. >> Key Performance Areas Editing of the articles being received from various sources. Handling all related correspondences. Freelance writing in various News Papers : 3 Years (2009 to 2011) Ms Uttaranchal Deep Hindi Daily >> Duration : 7 Years (2012 to 2018) >> Key performance Areas Covered criminal reporting while based at Haldwani. Covered political reporting while based at Almora Office. Was responsible for mainly editing job while based at Ranikhet & Subsequently at Bagheswar office. >> Academic Qualification : M.A. (Hindi) from Kumaun University in 1999. 6 Monts computer Course from JCTI, New Delhi. B.A. From Delhi University in 1996 12th from CBSE, Delhi in 1993 >> Technical Expertise : Proficiency in DTP. Proficient in Page Maker & Coral Draw. Good Knowledge of English & Hindi typesetting. Hardcore Knowledge of composing & editing. >> Personal Profile : Date of Birth : 13th Nov, 1974 Father’s Name : Late Mr. Balwant Manral >> Communication Address : Manral Sadan, Narsing Bari, Almora (Uttarakhand) 263601
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