सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (UOU) ने सामाजिक उत्तरदायित्व (Social Responsibility) की अपनी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एक बड़ी घोषणा की है। अब राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित विश्वविद्यालय के 8 क्षेत्रीय कार्यालय एक-एक गांव को गोद लेंगे और उनके सर्वांगीण विकास का जिम्मा उठाएंगे।
कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी की अध्यक्षता में हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य दूरस्थ और पिछड़े गांवों में शिक्षा, जागरूकता और कौशल-विकास को बढ़ावा देना है।
विश्वविद्यालय का यह कदम वर्ष 2013-14 की उस पहल को आगे बढ़ाता है, जब देहरादून और हल्द्वानी क्षेत्र के 5 गांवों को गोद लिया गया था। इसके बाद, मंगलवार को हुई बैठक में यह तय किया गया कि प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय अपने क्षेत्र के शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े तीन गांवों की सूची विश्वविद्यालय को भेजेगा। फिर, विश्वविद्यालय स्तर पर प्राथमिकता के आधार पर इनमें से एक-एक गांव का चयन किया जाएगा।
साथ ही, चयनित गांवों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए UOU कई नियमित पहल करेगा। उदाहरण के लिए, जागरूकता कार्यक्रम, शिक्षा-संबंधी गतिविधियाँ, सामुदायिक सहयोग कार्यक्रम और निशुल्क पुस्तक वितरण जैसी पहलें इसमें शामिल हैं।
निगरानी और प्रतिबद्धता
ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में बेहतर तालमेल (Coordination) हेतु विश्वविद्यालय एक नामित प्रोफेसर को इस कार्य की निगरानी की जिम्मेदारी देगा। दरअसल, यह प्रोफेसर सहायक क्षेत्रीय निदेशकों (Assistant Regional Directors) के माध्यम से गांवों के विकास कार्यों का प्रत्यक्ष मार्गदर्शन करेंगे।
कुलपति प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने इस अवसर पर कहा, “उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (UOU) सिर्फ गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य के दूरस्थ और पिछड़े गांवों के समग्र विकास को भी अपनी जिम्मेदारी मानता है। गांव गोद लेने की यह पहल निश्चित रूप से शिक्षा, जागरूकता, कौशल-विकास और सामाजिक उत्थान में निर्णायक भूमिका निभाएगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य हर चयनित गांव में शिक्षा के माध्यम से नए अवसर और ऊर्जा का संचार करना है, ताकि ये गांव आत्मनिर्भर और शिक्षित बन सकें।
इस दौरान, बैठक में कुलसचिव डॉ. खेमराज भट्ट, प्रो. गिरिजा पाण्डेय, प्रो, पी डी पंत, प्रो. रेनू प्रकाश, प्रो. डिगर सिंह, प्रो. कमल देवलाल, प्रो. एम एम जोशी, प्रो. जितेंद्र पाण्डेय, प्रो. गगन सिंह, प्रो. आशुतोष भट्ट, एवं प्रो. अरविन्द भट्ट सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।

