आलेख : त्रिनेत्रेश्वर महादेव मंदिर बमनस्वाल, यहां साक्षात विराजमान हैं महादेव

त्रिनेत्रेश्वर महादेव मंदिर पेटशाल के अंदर भेटा दशाव वाली रोड के लगभग 14 किमी अंदर बमनस्वाल गांव के मध्य में स्थित है। जो कि स्वाल…

त्रिनेत्रेश्वर महादेव मंदिर पेटशाल के अंदर भेटा दशाव वाली रोड के लगभग 14 किमी अंदर बमनस्वाल गांव के मध्य में स्थित है। जो कि स्वाल नदी के तट पर है। प्राचीन पद्वति से बने इस मंदिर का निर्माण लगभग 9वीं से 12वीं सदी ईसा पूर्व मध्य काल में माना जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह और मंडप आदि में विष्णु, सूर्य, लक्ष्मी नारायण, कार्तिके और उमा महेश, शिव—पार्वती की प्रतिमाएं विराजमान हैं।

यहां सूर्य और जैन तीर्थकर की प्रस्तर प्रतिमाएं भी प्रतिष्ठित हैं। इस भव्य मंदिर के शुरूआती द्वार में ताम्रपत्र भी विराजमान हैं और नदी में शिव लिंग और जटा शंकर में अवस्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब कभी बारिश नही होती और अकाल की स्थिति हो जाती है तब पूरे ग्रामवासी बरमकुंड से लाकर पानी चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि जैसे ही सुबह जल अर्पित किया जाता है तो शाम तक बारिश जरूर हो जाती है। यह मंदिर नागर, पीड़ा, देवल और बलवी शैली में निर्मित है। यह प्राचीन मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है। इतिहास में भी इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख आता है। कहा जाता है कि जो भी भक्तजन यहां आते हैं उन्हें एक दिव्य अनुभूति होती है। सच्चे मन से पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसी इस पौराणिक मंदिर की मान्यता मानी गई है।

— दिनेश भट्ट (पत्रकार), अल्मोड़ा, उत्तराखंड


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